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विदेशों में भी रामायण की महिमा दिनों दिन तीव्रतर हो रही है तब भारत के युवा दूरी रखेंगे तो ये अच्छा नहीं होगा

locationजबलपुरPublished: Jan 25, 2020 12:43:26 pm

Submitted by:

deepankar roy

वल्र्ड रामायण कॉन्फ्रेन्स में अमेरिका से आए ओक बोले

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जबलपुर. आज की युवा पीढ़ी के लिए राम अति अनिवार्य हैं, क्योंकि राम जीवन को संतुलित करते हैं। नई जनरेशन को रामायण, राम और इसके प्रत्येक पात्र के साथ जुडकऱ उन्हें अपने जीवन में उतारना चाहिए। ताकि, विषम परिस्थितियों से जूझा जा सके, उनसे जीता जा सके। ये बात रामायण के विशेषज्ञ और मर्मज्ञ नीलेश नीलकंठ ओक ने युवा पीढ़ी के जीवन की बढ़ती कठिनाइयों को कम करने के संदर्भ में कही। अमेरिका के ओक वल्र्ड रामायण कॉन्फ्रेन्स में शामिल होने आए हैं। उन्होंने देश-दुनिया के विविध मंचों पर रामायण के हर पहलू पर बात तथ्यों के साथ की है। उन्होंने रामायण पर गहन शोध किया है और तार्किक ढंग से घटनाओं को सिद्ध और प्रमाणित किया है।

ओक ने युवाओं से कहा कि वे रामायण के माध्यम से खुद को खोजने का उपक्रम प्रारंभ करें। रामायण से जुड़ते ही सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। युवाओं के पास आज जो तनाव, प्रतिस्पर्धा और अधैर्य का अतिरेक है, उसे कम करने के लिए रामायण का अध्ययन, मनन और चिंतन ही एक सर्वोत्कृष्ट उपाय है। उन्होंने कहा कि जब विदेशों में भी रामायण की महिमा दिनों दिन तीव्रतर हो रही है तब भारत के युवा यदि रामायण से दूरी रखेंगे तो ये अच्छा नहीं होगा। युवा सप्ताह में कम से कम दो दिन रामायण से जरूर जुड़े।

समृद्धि के शिखर पर विराजमान था रामायण काल

दूसरी वल्र्ड रामाण कॉन्फ्रेेन्स के पूर्व मानस भवन में आयोजित व्याख्यान में स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने रामायण काल में आर्थिक समृद्धि विषय पर प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि रामायण काल की आर्थिक समृद्धि को लेकर किसी भी प्रकार का संशय नहीं है। निश्चित तौर पर उस कालखंड की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत एवं व्यवस्थित थी। चाहे वो बाल्मीकि रामायण हो या रामचरित मानस, कहीं भी आर्थिक मंदी का उल्लेख नहीं है। इसलिए दावे के साथ कहा जा सकता है कि राम जब शासक थे, तब धरती पर वैभव बरस रहा था। उन्होंने कहा कि रामायण की चौपाइयों में वर्णित है कि चक्रवर्ती राजा की संपत्ति देखकर कुबेर और राजा इंद्रदेव भी ईष्र्या करते थे। प्रवचन की श्रृंखला में स्वामी गिरीशानंदजी सरस्वती ने वाल्मीकीय रामायणामृतम् पर प्रवचन दिए। वाल्मीकीय रामायण से जुड़े पहलुओं पर गहन-गम्भीर चर्चा हुई।

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