एक्टिंग, डांस, ड्रामा सब कुछ
सजीव झांकियों के माध्यम से बच्चे एक्टिंग, डांस, ड्रामा सब कुछ कर रहे हैं। जो एक तरह से उनमें सृजनात्मकता को भी बढ़ावा दे रही है। साथ ही भारतीय सांस्कृति और ज्ञान परंपरा को भी आगे बढ़ा रही है। मॉडल स्कूल की शिक्षिका सीमा मिश्रा बताती हैं कि पचास सालों से इस परंपरा का स्कूल द्वारा निर्वाहन किया जा रहा है। शुरुआत में स्टेच्यू से तैयारी की गई जो बाद में जीवंत झाकियों में बदल गई। कृष्ण लीलाओं का बच्चे खुद गीत संगीत के साथ मंचन करते हैं।
कृष्ण के जन्म से लेकर गौलोक गमन की झांकिया
बच्चों ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म से लेकर उनके गौलोक गमन तक की झांकियों का सजीव प्रदर्शन किया जाता है। कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से जुड़ी 23 प्रकार की जीवंत झांकियां रखी जाती हैं। इतना ही नहीं छात्रों द्वारा भजन, गाने, नृत्य के माध्यम से प्रस्तुति दी जाती है जो स्कूल के ही छात्र करते हैं। पुराने छात्रों द्वारा खुद का बैंड तैयार किया गया है। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई से निकलने के बाद गीत संगीत से जुड़ाव होने पर आकाश श्रीवास, दिनकर विश्वकर्मा, राहुल कुडंल, अभिषेक शर्मा, सुनील रैकवार ने खुद प्रोफेशनल बैंड ग्रुप द साथी को तैयार किया जन्माष्टमी पर अपनी प्रस्तुति दी।
-पढ़ाई के साथ ही हमारी धर्म संस्कृति और विरासत का भी छात्रों को ज्ञान होना आवश्यक है। जन्माष्टमी पर सजीव झांकियां भी इसी की एक कड़ी है जिसमें विद्यार्थियों को सीखने, करने का अनुभव मिलता है।
-मुकेश तिवारी, प्राचार्य मॉडल स्कूल