scriptइकलौता स्कूल, जहां जीवंत झांकियाें का हो रहा 50 वर्षो से निर्वाहन | The only school, where live tableaux are being maintained for years | Patrika News

इकलौता स्कूल, जहां जीवंत झांकियाें का हो रहा 50 वर्षो से निर्वाहन

locationजबलपुरPublished: Aug 20, 2022 12:50:39 am

Submitted by:

Mayank Kumar Sahu

जन्माष्टमी पर झांकियों की 50 सालों से सतत चली आ रही परंपरा, उत्कृष्ठ मॉडल स्कूल के छात्र लीलाओं का करते हैं सजीव मंचन

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मयंक साहू@जबलपुर
शानदार परिणाम और पढ़ाई में ही नहीं बल्कि बच्चों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं का ज्ञान कराने में भी यह स्कूल प्रदेश में अव्वल है। प्रदेश का इकलौता ऐसा सरकारी मॉडल स्कूल है जहां जनमाष्टमी पर्व पर सजीव झांकियां रखने की परंपरा का पिछले 50 सालों से निर्वाहन करते आ रहा है। स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं विभिन्न पात्रों की सजीव झांकियां रखते हैं। इसमें कृष्ण जन्म का पूरा वृतांत सजीव झांकियों के माध्यम से बताया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि झांकियों की साज सज्जा आदि का काम भी बच्चे स्वयं करते हैं। बताया जाता है शासकीय प.लज्जा शंकर झॉ उत्कृष्ठ मॉडल स्कूल की सौ साल से भी अधिक पुराना है। स्कूल की स्थापना 1904 में हुई थी। वर्ष 1953-54 में जन्माष्टमी पर्व पर झांकियां रखने की परंपरा चालू हुई। धीरे-धीरे यह वहृद रूप लेता गया और झांकियों का क्रम सजीवता तक पहुंच गया। वर्तमान में इसे भव्यता के साथ स्कूल के छात्र और शिक्षकों द्वारा इस परंपरा को निभाया जा रहा है।

एक्टिंग, डांस, ड्रामा सब कुछ

सजीव झांकियों के माध्यम से बच्चे एक्टिंग, डांस, ड्रामा सब कुछ कर रहे हैं। जो एक तरह से उनमें सृजनात्मकता को भी बढ़ावा दे रही है। साथ ही भारतीय सांस्कृति और ज्ञान परंपरा को भी आगे बढ़ा रही है। मॉडल स्कूल की शिक्षिका सीमा मिश्रा बताती हैं कि पचास सालों से इस परंपरा का स्कूल द्वारा निर्वाहन किया जा रहा है। शुरुआत में स्टेच्यू से तैयारी की गई जो बाद में जीवंत झाकियों में बदल गई। कृष्ण लीलाओं का बच्चे खुद गीत संगीत के साथ मंचन करते हैं।
कृष्ण के जन्म से लेकर गौलोक गमन की झांकिया

बच्चों ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म से लेकर उनके गौलोक गमन तक की झांकियों का सजीव प्रदर्शन किया जाता है। कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से जुड़ी 23 प्रकार की जीवंत झांकियां रखी जाती हैं। इतना ही नहीं छात्रों द्वारा भजन, गाने, नृत्य के माध्यम से प्रस्तुति दी जाती है जो स्कूल के ही छात्र करते हैं। पुराने छात्रों द्वारा खुद का बैंड तैयार किया गया है। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई से निकलने के बाद गीत संगीत से जुड़ाव होने पर आकाश श्रीवास, दिनकर विश्वकर्मा, राहुल कुडंल, अभिषेक शर्मा, सुनील रैकवार ने खुद प्रोफेशनल बैंड ग्रुप द साथी को तैयार किया जन्माष्टमी पर अपनी प्रस्तुति दी।
-पढ़ाई के साथ ही हमारी धर्म संस्कृति और विरासत का भी छात्रों को ज्ञान होना आवश्यक है। जन्माष्टमी पर सजीव झांकियां भी इसी की एक कड़ी है जिसमें विद्यार्थियों को सीखने, करने का अनुभव मिलता है।
-मुकेश तिवारी, प्राचार्य मॉडल स्कूल

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