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हेलमेट की अनिवार्यता पर अब सुप्रीम कोर्ट करेगा मॉनीटरिंग

locationजबलपुरPublished: Jan 03, 2018 12:10:58 am

Submitted by:

राहुल

हाईकोर्ट ने 11 साल से लंबित जनहित याचिका का किया निराकरण

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जबलपुर. दोपहिया वाहन चालकों के लिए प्रदेशभर में हेलमेट की अनिवार्यता को लेकर 11 साल से लंबित जनहित याचिका का मंगलवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने निराकरण करते हुए कहा, इस मसले की मॉनिटरिंग अब सुप्रीम कोर्ट करेगा। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की उस दलील को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस संबंध में दो याचिकाएं लंबित हैं।

यह है मामला

शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर के पूर्व प्रोफेसर डॉ.एके बाजपेयी की ओर से २००६ में दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों के तहत दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है, लेकिन जबलपुर सहित पूरे प्रदेश में इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। इससे सड़क दुर्घटनाओं में वाहन चालकों की मृत्यु के मामले बढ़ रहे हैं। याचिका की सुनवाई के दौरान समय-समय पर हाईकोर्ट ने सरकार और अधिकारियों को इस संबंध में कई दिशा-निर्देश जारी किए। इसी याचिका के चलते पुलिस ने हेलमेट नहीं पहनने वाले दोपहिया वाहन चालकों पर जुर्माना वसूलना शुरू किया।

250 रुपए हुआ जुर्माना

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि हेलमेट नहीं धारण करने पर दोपहिया वाहन चालकों पर महज सौ रुपए जुर्माने का प्रावधान है। राशि बहुत कम होने से लोगों में इसको लेकर गंभीरता नहीं है। इस पर कोर्ट ने जुर्माने की रकम बढ़ाकर २५० रुपए की थी।

दो-दो जगह दे रहे रिपोर्ट

सरकारी वकील अमित सेठ ने कोर्ट को बताया, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी इस विषय पर दो याचिकाएं लंबित हैं। लिहाजा उन्हें हर तीन माह में वहां भी रिपोर्ट पेश करना पड़ता है। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं होना चाहिए। कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता अनूप नायर उपस्थित हुए।

नाबालिग बच्चों के वाहन चलाने का मामला भी निराकृत

इस याचिका के साथ नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच युवा प्रकोष्ठ के मनीष शर्मा की दो याचिकाओं की सुनवाई भी की गई। इनमें परिवहन नियमों कापालन नहीं होने और नाबालिग बच्चों के वाहन चलाते पाए जाने पर अभिभावकों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे उठाए गए थे। सरकार की ओर से कहा गया कि नियमों का पालन सख्ती से कराया जा रहा है। चालानी कार्रवाई की जा रही है। जवाब से संतुष्टि जताते हुए कोर्ट ने इन याचिकाओं का भी निराकरण कर दिया।

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