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खाली है खजाना, फिर भी पड़ेगा लुभाना

locationजबलपुरPublished: Feb 24, 2019 01:12:21 am

Submitted by:

shyam bihari

चुनावी साल में निगम का बजट पेश करना चुनौती

Money totke

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खजाने में फं ड की मौजूदा स्थिति

स्मार्ट सिटी
-128 करोड़ स्मार्ट सिटी फं ड के खर्च
-100 करोड़ के लगभग के विकास कार्य जारी
-170 करोड़ रुपए स्मार्ट सिटी फं ड के सुरक्षित
आय का स्रोत
-300 करोड़ राजस्व वसूली का लक्ष्य
-93 करोड़ की ही हुई है राजस्व वसूली
राज्य सरकार से मिलने वाला फं ड
-3 साल से नहीं मिल रही चुंगी क्षतिपूर्ति राशि
-राज्य सरकार का खजाना खाली, फं ड मिलने का आसार नहीं
जबलपुर। चुनावी साल में शहरवासियों को नगर निगम के बजट से बड़ी सौगात मिलने की आशा है। नगर सत्ता मतदाताओं को भी साधना चाहेगी। लेकिन निगम के खाली खजाने के साथ लोक लुभावन बजट पेश करने की राह आसान नहीं दिख रही है। निगम की आय का मुख्य स्रोत राजस्व वसूली है, जिसमें इस बार अमला फिसड्डी साबित हुआ है। वित्तीय वर्ष पूरा होने को अंतिम पांच सप्ताह बचे हैं और अब तक निगम का राजस्व अमला सौ करोड़ की भी वसूली नहीं कर सका है। राज्य सरकार का खजाना भी खाली है। पिछले तीन साल से राज्य सरकार से निगम को चुंगी क्षति पूर्ति की राशि भी नहीं मिली। ऐसे में स्थापना व्यय से लेकर अन्य कार्य निगम के लिए आसान नहीं होंगे। ऐसे में स्मार्ट सिटी फं ड ही निगम के लिए बजट में इस बार तारणहार बनेगा।
निगम के पास स्मार्ट सिटी फं ड के लगभग 170 करोड़ रुपए बकाया हैं। ऐसे में इस बार के बजट में ज्यादातर विकास कार्य स्मार्ट सिटी योजना के तहत ही करने का प्रावधान किया जा सकता है। जिनमें तिलवारा से मंडला बायपास तक नर्मदा समृद्धि कॉरिडोर का विकास, चौराहों का उन्नयन, नए उद्यानों का विकास, हर विधानसभा में एक चौड़ी सड़क का विकास शामिल है।
करों में नहीं होगी बढ़ोतरी
चुनावी वर्ष को ध्यान में रखते हुए इस बात पर फोकस किया जा रहा है कि शहरवासियों पर किसी भी प्रकार के नए कर का बोझ न डाला जाए। ऐसे में संपत्ति कर, जल कर समेत अन्य सभी कर स्थिर रह सकते हैं।

महीने के अंत में नगर निगम के बजट को एमआईसी की स्वीकृति मिल जाएगी। इसके तीन-चार दिन के बाद बजट सदन के पटल पर रखा जाएगा।
स्वाति गोडबोले, महापौर

नगर सत्ता को पिछले पंद्रह साल में हुए भ्रष्टाचार की कलई खुलने का डर है। इसी के कारण निगम का बजट प्रस्तुत करने में देर की जा रही है। जिससे की पिछले बजट पर चर्चा न हो सके।
मुकेश राठौर, विधायक प्रतिनिधि

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