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विश्वविद्यालयों की कतार, तकनीकी संस्थान भी हैं, फिर भी स्टूडेंट भाव नहीं देते इस शहर को

locationजबलपुरPublished: Jul 10, 2020 07:47:59 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर शहर में परम्परागत कोर्स से हटकर रोजगार से जोडऩे वाले नए पाठ्यक्रमों की जरूरत

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यह है स्थिति
-06 विश्वविद्यालय
-02 तकनीकी संस्थान
-75 हजार छात्र अध्ययनरत
-50 हजार छात्र हर साल पास आउट
यह है जरूरत
-इंडस्ट्री बेस कोर्स की कमी
-डिफेस से जुड़े कोर्स नहीं
-डिजाइन एवं क्लस्टर कोर्स जरूरी
-फूड एवं होटल मैनेजमेंट कोर्स शुरू हों

शिक्षा से जुड़े बड़े संस्थान
-रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय
-वेटरनरी विश्वविद्यालय
-कृषि विश्वविद्यालय
-मेडिकल यूनिवर्सिटी
-लॉ यूनिवर्सिटी
-महर्षि महेश योगी विवि
-ट्रिपल आईटीडीएम

जबलपुर। शहर में कहने को तो पांच-पांच विश्वविद्यालय हैं, लेकिन जिस तरीके से प्रदेश के दूसरे शहरों ने शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति की है हमारा शहर वह नहीं कर सका। राजनीतिक नेतृत्व में कमी का खामियाजा शहर शिक्षा के क्षेत्र में भी भुगत रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहर में अधोसंरचना से लेकर अन्य चीजें दूसरों शहरों से बेहतर हैं। यदि शिक्षा को रोजगार से जोड़कर संस्थान विकसित किए जाएं तो यह शहर भी कोटा, इंदौर जैसे शहरों के बराबर खड़ा हो सकता है।
शहर के शिक्षा संस्थानों से हर साल करीब 50 हजार छात्र पासआउट होते हैं। कुछ संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो इसमें से कुछ ही शहर में रोजगार पाने में सफल हो पाते हैं। अनुमान के अनुसार पास आउट होने वाले छात्रो में से करीब 40 फीसदी छात्र रोजगार से जुड़ जाते हैं। 25 फीसदी छात्र आगे की शिक्षा के लिए चले जाते हैं। 35 फीसदी छात्र रोजगार के लिए जद्दोजहद करते हैं।
संस्थानों की स्थिति
रादुविवि में सर्वाधिक 40 हजार छात्र अध्ययनरत हैं। मेडिकल विश्वविद्यालय के अतंर्गत 17 हजार, वेटरनरी विवि के अंतर्गत करीब 2200, जेईसी के अंतर्गत 3000, ट्रिपलआईटीडीएम 1800, धर्मशास्त्र लॉ यूनिवर्सिटी से करीब 255 छात्र अध्यनरत हैं। महर्षि महेश योगी संस्थान से 8 हजार तो कृषि विवि से करीब 3500 हजार छात्र अध्यनरत हैं। शहर में आर्डिनेंस फैक्ट्री, वीएफजे, ग्रेआयरन फैक्ट्री, जीसीएफ फैक्ट्री, सीओडी जैसे रक्षा मंत्रालय के संस्थान हैं। शिक्षा पाठयक्रम में टेक्नोलॉजी को समाहित कर डिफेंस से जुड़े कोर्स शुरू किए जा सकते हैं। बीएसएनएल का एशिया का सबसे बड़ा तकनीकी ट्रेनिंग इंस्टीटयूट है, लेकिन यहां तकनीक विश्वविद्यालय नहीं है।

रादुविवि कौशल विकास के माध्यम से कई नए रोजगारोन्मुखी कोर्स संचालित कर रहा है। छात्रों को प्लसमेंट की भी दिशा में जॉब फेयर की भी शुरुआत की है।
प्रो. कपिलदेव मिश्र, कुलपति, रादुविवि

यह जरूरी है कि रोजगार से जोड़कर कोर्स को शुरू किया जाए। विवि रोजगारपरक शिक्षा के प्रति ज्यादा से ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहा है। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने हम नि:शुल्क आवासीय टे्रनिंग दे रहे हैं।
डॉ. पीके बिसेन, कुलपति, कृषि विवि

तकनीकी संस्थानों की टेक्नोलॉजी को विश्वविद्यालयों के साथ शेयर करने की जरूरत है। उनके यहां उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर संस्थान को बेहतर बना सकते हैं।
डॉ.प्रशांत जैन, जेईसी

शिक्षा का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के साथ शहर की बेहतर तरीके से ब्रांडिंग करनी की जरूत है। रोजगार, शिक्षा से जुड़े केंद्र और राज्य सरकार के ज्यादा से ज्यादा प्रोजेक्ट लाने की आवश्यकता है।
-डॉ. ध्रुव दीक्षित, शिक्षाविद्

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