अंतरराष्ट्रीय ‘खेल’ घोषणाओं में, अमल बिना ‘मैदान’
- सभी खेल मैदानों के हाल बेहाल, नीमखेड़ा भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए नहीं हो सका तैयार

जबलपुर. वल्र्ड कप नजदीक आते ही शहर का दर्द एक बार फिर उभरकर आ रहा है। कई बार घोषणाएं की गईं कि शहर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं के लिए मैदान तैयार किए जाएंगे, लेकिन इन घोषणाओं पर अमल नहीं हो सका। न नए खेल परिसर बनाए गए और न ही पुरानों का उन्नयन हो सका। शहर अब भी ऐसे आयोजन कराने में सक्षम नहीं है। जो मैदान हैं, वे भी दुर्दशा का शिकार हो रहे हैं।
यह है मैदानों की हकीकत
रानीताल खेल परिसर- क्रिकेट स्टेडियम पूरा नहीं हो सका। गैलरी नहीं है। हॉकी एस्ट्रोटफ अधूरा है। साइकिलिंग वेलोड्रम की मरम्मत नहीं होती। बैडमिंटन हॉल थोड़ा अच्छा है। टेनिस के मैदान की देखरेख नहीं होती।
राइट टाउन स्टेडियम- खिलाडिय़ों के लिए कम, जॉगर्स के लिए ज्यादा है। सिंडर ट्रैक जवाब दे चुका है। दूसरी विधाओं के लिए सुविधा नहीं। बॉक्सिंग, कराते, टेबल टेनिस ट्रेनिंग सेंटर थोड़े ठीक हैं।
रादुविवि खेल परिसर- यह परिसर भी बेहतर नहीं है। एथलेटिक्स, बास्केटबॉल, टेनिस, हैंडबॉल और हॉकी के मैदानों में स्तरीय सुविधाएं नहीं हैं।
फूटाताल स्टेडियम- खेल कम अन्य गतिविधियां ज्यादा चलती हैं। निगम ने अतिक्रमण हटाकर इसे खेल के लिए तैयार किया। एक भी खेल नहीं हो सके।
रांझी खेल परिसर- इनडोर हॉल में बैडमिंटन के मुकाबले हो सकते हैं, लेकिन आउटडोर खेलों के लिए मैदान तैयार नहीं किया गया। जबकि, जगह पर्याप्त है।
शिवाजी मैदान- केंट क्षेत्र के इस मैदान में भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। बरसात में पानी भर जाता है। इस्तेमाल अन्य गतिविधियों के लिए भी किया जाता है।
........वर्जन
शहर में फुटबॉल की सम्भावनाएं अधिक हैं। अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम तैयार किए जाने की पहल की गई है। जमीन मिलने पर राज्यशासन की मदद से इसका निर्माण कराया जाएगा। भविष्य में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने अन्य प्रयास किए जाएंगे।
- विवेककृष्ण तन्खा, सदस्य, राज्यसभा
अंतराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं के लिए कई मानक हैं। मैदानों के विकास के साथ ही शहर इन मानकों को तय करे, तो यहां अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हो सकती हैं। इसके लिए सभी को एकजुट प्रयास करने होंगे।
- दिग्विजय सिंह, सचिव, मप्र ओलंपिक संघ
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खेल- खिलाड़ी
क्रिकेट- १००००
टेबल टेनिस- ६००
एथलेटिक- ८०००
बॉक्सिंग- ९००
कराते- १२००
बैडमिंटन- १८००
फुटबॉल- ३०००
साइकिलिंग-२५०
शूटिंग- ८००
वुशू- ६००
हॉकी- ९००
कुश्ती- २३००
तीरंदाजी- ३००
तलवारबाजी- १५०
जिन्मास्टिक- १००
वेट लिफ्टिंग- ९००
बॉडी बिल्डिंग- ४०००
(विभिन्न खेलों के जानकारों के अनुसार)
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शहर से ये पहुंचे एशियन गेम्स में
वुशु - अंजुल नामदेव
शूटिंग - मुस्कान किरार
साइकिलिंग - चोवा, मनोरमा
पैराशूटिंग - रूबीना फ्रांसिस (दिव्यांग वर्ग)
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ये मैदान भी दुर्दशा के शिकार
पुलिस लाइन स्टेडियम
साइंस कॉलेज मैदान
महाकोशल कॉलेज मैदान
रेलवे स्टेडियम
लगभग १०० से अधिक छोटे मैदान
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इन खेलों के मुख्यालय
मप्र ओलंपिक संघ, मप्र फुटबॉल संघ, मप्र खोखो संघ, हॉकी मध्यप्रदेश, महाकोशल महिला हॉकी संघ, मप्र बॉक्सिंग संघ, मप्र तीरंदाजी संघ, मप्र बाउलिंग संघ, मप्र साइक्लिंग संघ, मप्र तलवारबाजी संघ, मप्र जिम्नास्टिक संघ, मप्र कराते संघ, मप्र तैराकी संघ, मप्र वेट लिफ्टिंग संघ, मप्र वूशू संघ, मप्र स्नूकर बिलियड्र्स संघ, इंडियन स्टाइल कुश्ती संघ मप्र, मप्र अमेच्योर बॉडी बिल्डिंग संघ समेत अन्य।
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सिर्फ दावा
रानीताल स्टेडियम- अंतराराष्ट्रीय स्तर क्रिकेट प्रतियोगिताओं के लिए इसे तैयार किया गया। व्यवस्थाओं के अभाव में मैदान ऐसे आयोजन के लिए तरस रहा है।
नीमखेड़ा स्टेडियम - राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं विशेषकर क्रिकेट के लिए तैयार किया गया। यहां राज्य स्तर की प्रतियोगिताएं ही हो पा रही हैं। कारण है सुविधाओं का अभाव, शहर से दूरी।
राइट टाउन स्टेडियम- इसे अंतराष्ट्रीय स्तर का बनाने का प्लान बनाया गया। स्मार्ट सिटी के तहत यह कार्य करने का दावा किया गया, लेकिन वर्षों में यह नहीं किया जा सका। यह दुर्दशाग्रस्त हो रहा है।
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