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यहां इतना हुआ गेहूं-चावल का उत्पादन कि नहीं बची कैप-गोदामों में जगह, फिर हुआ ये…

locationजबलपुरPublished: Jun 21, 2019 07:11:34 pm

Submitted by:

abhishek dixit

यहां इतना हुआ गेहूं-चावल का उत्पादन कि नहीं बची कैप-गोदामों में जगह फिर हुआ ये…

Wheat purchase

गेहूं खरीद

जबलपुर. गेहूं और चावल का उत्पादन इतना हुआ कि जिले में रखने के लिए जगह कम पड़ रही है। हाल में होशंगाबाद और छिंदवाड़ा जिला गेहूं का स्टॉक भेजा गया, तो धान की मिलिंग के बाद चावल रखने के लिए भी जगह नहीं बची। ऐसे में इसे भिंड भेजा जा रहा है। ट्रक और मालगाड़ी का सहारा लेना पड़ा है। जिले से मालगाड़ी के दो रैक भेजे जा रहे हैं। इनमें लगभग 50 हजार क्विंटल चावल भंडारण के लिए भेजा गया है। ऐसी स्थिति सम्भाग के अन्य जिलों की भी है।

जिले में पिछले सीजन में तीन लाख 11 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीदी हुई थी। इसे करीब 250 निजी एवं सरकारी गोदामों में रखा जाता है। लेकिन, मिलिंग के जरिए धान से चावल निकाला जाता है, तो सीमित जगह भंडारण किया जाता है। क्योंकि, राशन दुकानों में भेजने से पहले इसकी जांच होती है। इसी तरह औचक निरीक्षण भी किया जाता है कि कहीं धान में कीट तो नहीं लगे।

भंडारण में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि वहां से राशन दुकानों तक परिवहन आसान एवं कम लागत में हो सके। ऐसे गोदामों की संख्या कम है। इसलिए जगह कम पड़ रही है। खाली जगह पर अब गेहूं का भंडारण भी किया जा रहा है। इस साल जिले में लगभग तीन लाख 64 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई है। उसके लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए नागरिक आपूर्ति निगम ने अब नियमों के तहत दूसरे जिलों में चावल रखने का निर्णय किया है।

कैप और गोदाम से परिवहन
नए नियमों के तहत ओपन कैप और गोदामों से 50-50 प्रतिशत धान का उठाव कर उसकी मिलिंग कराई जानी है। इसलिए गोदामों के अलावा सिहोरा के पास बने ओपन कैप से भी धान को लेकर उसका चावल निकाला जा रहा है।

धान की मिलिंग शुरू हुई है। चावल रखने के लिए जिले में पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए रैक और ट्रकों के माध्यम से भिंड जिले में चावल की सप्लाई की जा रही है।
अरविंद सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक, मप्र आपूर्ति निगम

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