जिले में पिछले सीजन में तीन लाख 11 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीदी हुई थी। इसे करीब 250 निजी एवं सरकारी गोदामों में रखा जाता है। लेकिन, मिलिंग के जरिए धान से चावल निकाला जाता है, तो सीमित जगह भंडारण किया जाता है। क्योंकि, राशन दुकानों में भेजने से पहले इसकी जांच होती है। इसी तरह औचक निरीक्षण भी किया जाता है कि कहीं धान में कीट तो नहीं लगे।
भंडारण में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि वहां से राशन दुकानों तक परिवहन आसान एवं कम लागत में हो सके। ऐसे गोदामों की संख्या कम है। इसलिए जगह कम पड़ रही है। खाली जगह पर अब गेहूं का भंडारण भी किया जा रहा है। इस साल जिले में लगभग तीन लाख 64 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई है। उसके लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए नागरिक आपूर्ति निगम ने अब नियमों के तहत दूसरे जिलों में चावल रखने का निर्णय किया है।
कैप और गोदाम से परिवहन
नए नियमों के तहत ओपन कैप और गोदामों से 50-50 प्रतिशत धान का उठाव कर उसकी मिलिंग कराई जानी है। इसलिए गोदामों के अलावा सिहोरा के पास बने ओपन कैप से भी धान को लेकर उसका चावल निकाला जा रहा है।
धान की मिलिंग शुरू हुई है। चावल रखने के लिए जिले में पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए रैक और ट्रकों के माध्यम से भिंड जिले में चावल की सप्लाई की जा रही है।
अरविंद सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक, मप्र आपूर्ति निगम