रेलवे ट्रैक की हाईटेक डिवाइस से की जा रही निगरानीबारिश के दौरान नदी नालों में उफान आने का रहता है खतरा[typography_font:14pt;” >डिवाइस से मिलते हैं सिग्नल जबलपुर. बारिश के दौरान रेलवे महकमे ने रेलवे ट्रैक की सुरक्षा बढ़ा दी है। छोटे नदी नालों के पुल पुलियों पर नजर रखी जा रही है। रेल कर्मचारियों के अलावा पूर्व में इंस्टॉल की गई हाईटेक डिवाइसों के जरिए भी मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके अलावा ट्रैकमैन को जीपीएस डिवाइस दी गई हैं। नदियों पर लगाई गई हाईटेक डिवाइस पानी बढ़ते ही कंट्रोल को सीधे सूचित कर देती हैं।यह खास– पमरे की 14 नदियों में हैं फ्लड लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम– ट्रैकमैन को आवंटित किए गए हैं जीपीएस सिस्टम– अधिकतर स्टेशनों पर काटे गए पेड़ और झाडिय़ांबारिश में यह रहता है खतरा– बारिश के कारण ट्रैक से हो जाता है मिट्टी का कटाव– कई स्थानों पर पानी में डूब जाते हैं ट्रैक– नदी उफान पर होने पर हादसे की रहती है आशंका– छोटे पुल पुलियों पर घटनाओं का अंदेशा– ट्रैक पर पेड़ व डालियां गिरने से हादसे की आशंकास्टेशनों पर हटवाए गए पेड़बारिश के पूर्व रेलवे ने सभी स्टेशनों को अलर्ट जारी किया था। इसके बाद ट्रैक के आसपास के पेड़ और झाडिय़ों को हटाया गया।इन नदियों में हैं फ्लड लेवल सिस्टम– जबलपुर मानिकपुर में हिरन नदी पर– इटारसी जबलपुर के बीच नर्मदा नदी पर– बीना कटनी सेक्शन में कोपरा नदी पर– बीना कटनी में बर्मी नदी पर– कटनी सिंगरौली के बीच महांडी नदी परइन डिवाइस के जरिए निगरानीप्रोटेक्शन वॉर्निंग सिस्टम– ये सिस्टम पटरी के दोनों ओर लगे हैं। इससे सम्पर्क के लिए एक सिस्टम ट्रेन के इंजन में भी रखा जाता है। सिग्नल के पास ट्रेन पहुंचते ही सिग्नल लाल या पीला होने पर इंजन में चेतावनी अलार्म बजता है, जिससे लोको पायलट ट्रेन की स्पीड को समय रहते कंट्रोल कर सकता है।फ्लड लेवल मॉनिटरिंग- रेल ब्रिज में फ्लड लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगे हैं। ये नदियों के जलस्तर की जानकारी कंट्रोल को देते हैं। इनमें भी जीपीएस लगा है, जो सोलर पैनल और बैटरी की मदद से चलता है। नदी का पानी बढ़ते ही यह सिस्टम एक साथ पांच जगह मैसेज भेजते हैं।ट्रैक जीपीएस- ट्रैकमैन को जीपीएस दिया है, यह ट्रैकमेन की लोकेशन सीधे कंट्रोल तक पहुंचाएगा। इसके जरिए ट्रैकमैन एक बार में दो लोगों को सीधे कोई भी जानकारी पहुंचा सकता है। इसके पूर्व ट्रैकमैन को ड्यूटी प्वाइंट पर आकर कोई भी जानकारी कंट्रोल को देनी पड़ती थी।एलईडी सिग्नल- कई स्थानों पर एलईडी सिग्नल लगाए हैं, जो बारिश के वक्त भी ट्रेन के इंजन में बैठे लोको पायलट को आसानी से एक किमी दूर से नजर आ जाते हैं।