बताया जाता है कि फैक्ट्री में पहले से उत्पादिन किए जा रहे 84 एमएम बम शृंखला के नए वेरियंट के रूप में इस बम का उत्पादन होगा। यह बम 551 के आगे की शृंखला है। जानकारों का कहना है कि बम का यह स्वरूप अब उतना कारगर नहीं है। सेना ने आगे की शृंखला तैयार करने की जरूरत से आयुध निर्माणी बोर्ड को अवगत कराया था। मौजूदा समय में कई देश आधुनिक तकनीक वाले युद्धक टैंक का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें भेदने के लिए इससे ज्यादा शक्तिशाली बम की आवश्यकता थी।
कई तरह की हैं खूबियां
ओएफके में तैयार किए जाने वाला 751 बम दुश्मन के टैंक की भीतरी सतह को भेदने में सक्षम है। सूत्रों का कहना है कि
551 बम से साधारण टैंकों को उड़ाया जा सकता है। लेकिन नई तकनीक विकसित होने से कुछ ऐसे टैंक भी बन गए हैं जिन पर मौजूदा दौर के एमुनेशन का असर नहीं होता है। इनमें एक्सप्लोसिव रिएक्टर आर्मर जैसी प्रणालियां लगाई गई हैं। इसल्लिए 751 बम इसमें कारगर साबित हो सकता है। इस बम के लिए स्वीडन तो उत्पादन सामग्री उपलब्ध करवा रहा है। अम्बरनाथ और दूसरी निर्माणियों में भी जरूरी कलपुर्जे बनाए जा रहे हैं।
वर्जन……
751 एमुनेशन का उत्पादन शीघ्र शुरू होगा। इसके लिए तैयारियां हो चुकी हैं। इसे तैयार करने में उपयोग होने वाली सामग्री स्वीडन से आ चुकी है। देश की दूसरी आयुध निर्माणियों से भी रॉ मटैरियल लिया जा रहा है।
एके ठाकुर, अपर महाप्रबंधक ओएफके