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जबलपुर

यह डायरी है बेहद खास, इसमें हैं हजारों प्रकरणों का राज

कहीं रुकी शादी, कहीं निर्दोष भी फंसे

जबलपुरApr 05, 2019 / 01:37 am

shyam bihari

allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की तीनों खंडपीठों में हजारों अपराधिक मामलों में सुनवाई अधर में अटकी है। समय पर केस डायरी न आने के कारण इन प्रकरणों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से अपराधिक मामलों में जेल में निरुद्ध सैकड़ों लोग परेशान हो रहे हैं। यहां तक कि इसके लिए महाधिवक्ता द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन भी नहीं किया जा रहा है।
बेटी की शादी, सुनवाई नहीं हुई
सतना जिला निवासी संतराम कुशवाहा को जनवरी 2019 में भादंवि की धारा 307 के तहत एक प्रकरण में गिरफ्तार किया गया। उसकी बेटी का विवाह मार्च के अंतिम सप्ताह में होना था, लेकिन केस डायरी न आने की वजह से उसकी जमानत अर्जी पर निर्धारित तारीख पर सुनवाई ही नहीं हो सकी।
निर्दोष फंसा भाई, नहीं दे सका परीक्षा
खंडवा निवासी राजेश सेन का भाई धोखाधड़ी के मामले में दिसंबर 2018 में गिरफ्तार हुआ। उसकी जमानत अर्जी जनवरी 2019 में दायर हुई, लेकिन दो बार केस डायरी न आने से सुनवाई टल गई। उसकी अप्रैल से परीक्षा होनी थी, लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हो सका।
पिता-पुत्र अंदर, घर में लगी आग
शहडोल जिले के रंजीत सिंह पुत्र राजेंद्र सहित मारपीट के प्रकरण में जनवरी 2019 से जेल में बंद हैं। दोनों की ओर से पेश जमानत की अर्जी पर केस डायरी न आने की वजह से दो माह से सुनवाई नहीं हो सकी है। इस बीच मार्च में उनके घर में आग लग गई। इसके बावजूद उनका मामला अधर में है।
बहन का हो गया विवाह, नहीं पहुंच पाया भाई
बैतूल जिला निवासी खेमसिंह उईके वन्यजीव अधिनियम के तहत गिरफ़्तार किया गया। उसकी ओर से जमानत अर्जी के साथ केस खारिज करने की भी याचिका लगाई गई, लेकिन बीते तीन माह से केस डायरी नहीं आई। इस बीच उसकी बहन का विवाह हो गया, लेकिन वह नहीं पहुंच सका।
यह है प्रक्रिया
अपराधिक मामलों में जमानत की अर्जी या केस निरस्त कराने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता के तहत हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की जाती हैं। ऐसी अर्जी दायर होने पर सम्बंधित बेंच सबसे पहले थाने से मामले का रिकॉर्ड या केस डायरी मंगाती है। केस डायरी पहुंचने के बाद ही कोर्ट में मामले पर बहस हो पाती है।
महाधिवक्ता के यह थे निर्देश
दिसम्बर 2018 में नियुक्त होने के बाद महाधिवक्ता राजेंद्र तिवारी ने अपने अधीन सभी विधि अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि अपराधिक मामलों में केस डायरी जल्द से जल्द मंगाई जाएं। सम्बंधित थाने और एसपी से इस सम्बंध में व्यक्तिगत प्रयास कर केस डायरी बुलाई जाए। तिवारी ने निर्देश दिए थे कि सम्बंधित टीआई या एसपी के अनसुनी करने पर उन्हें अवगत कराया जाए, ताकि वे स्वयं अधिकारी से चर्चा कर केस डायरी आना सुनिश्चित कर सकें।

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