scriptsuicide fan: अब कोई नहीं कर पाएगा पंखे से लटककर आत्महत्या, डॉक्टर पंखा करेगा रक्षा | This fan will save you from suicide : Research in jabalpur | Patrika News

suicide fan: अब कोई नहीं कर पाएगा पंखे से लटककर आत्महत्या, डॉक्टर पंखा करेगा रक्षा

locationजबलपुरPublished: Sep 11, 2019 01:48:12 pm

suicide fan: जबलपुर के ह्दयरोग विशेषज्ञ ने किया अनुसंधान, इस पंखे के लिए डॉक्टर को पेटेंट भी मिला, चिंताजनक हालात, जनवरी से अब तक 195 ने कर चुके हैं खुदकुशी

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जबलपुर। जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति और ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर एस शर्मा ने ऐसा करामाती पंखा बनाया है, जिस पर लटककर कोई फांसी नहीं लगा सकेगा। इस पंखे का पेटेंट भी डॉ आरएस शर्मा को मिल गया है. उनका कहना है कि अगर कोई सुसाइड लेस फैन से लटककर आत्महत्या करने की कोशिश करता है तो वह सफल नहीं होगा.

ये है सुसाइड लेस फैन
डॉ आर एस शर्मा को आत्महत्या के कई मामलों की पड़ताल करने के बाद यह बात समझ में आई कि आत्महत्या करने के पहले लोग डिप्रेशन में होते हैं. गहन सोच-विचार में अकेले पड़े रहते हैं और बिस्तर पर पड़े पड़े सबसे पहले जो चीज दिखती है वह होता है पंखा. जिसे देख कर लोग पंखे से लटककर आत्महत्या कर लेते हैं. डॉ आर एस शर्मा का कहना है कि पंखे में ऐसे बदलाव किए जा सकते हैं कि यदि कोई पंखे पर लटक कर आत्महत्या करता है तो वह आत्महत्या सफल नहीं होगी.

पंखे में किए तकनीकी बदलाव
डॉक्टर शर्मा ने पंखे में स्प्रिंग लगाएं हैं और एक हूटर लगाया है. पंखे में लगी स्प्रिंग की वजह से जैसे ही कोई शख्स पंखे से रस्सी बांधकर फांसी लगाने की कोशिश करेगा तो इस पर इनकी वजह से पंखा खुद-ब-खुद नीचे आ जाएगा और पंखे में लगा हूटर बजने लगेगा. आत्महत्या करने वाले को रोक सके इसलिए डॉक्टर शर्मा ने इसकी टेस्टिंग की है और टेस्टिंग करने के बाद इसे पेटेंट के लिए भेजा था.

डॉक्टर शर्मा को मिला पेटेंट
6 साल बाद इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट नाम की सरकारी संस्था ने डॉ शर्मा को पंखे का पेटेंट दे दिया है. डॉक्टर शर्मा का कहना है कि सरकार को पंखे कंपनियों से यह बात कहनी चाहिए कि वे ऐसे पंखे बनाएं जिनसे लोग आत्महत्या न कर सके और लोगों की जान बचाई जा सके. डॉक्टर शर्मा का कहना है कि ज्यादातर आत्महत्या करने वाले स्टूडेंट्स होते हैं इसलिए हॉस्टल्स, जेल की बैरिक्स और अस्पतालों में इन पंखों को जरूर लगाया जाए ताकि मरीज और कैदी आत्महत्या करने से बच सकें.

इसलिए ये जरूरी
नौकरी, परिवार और सामाजिक जिम्मेदारियों में फंसकर कई बार लोग तनाव में आ जाते हैं। ये तनाव कब उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दें, ये पीडि़त व्यक्ति भी नहीं समझ पाता। संस्कारधानी में औसतन रोज एक आत्महत्या का मामला सामने आता है। प्रेम प्रसंग के बाद घरेलू कलह दूसरा बड़ा कारण है, जिसके चलते लोग जान दे रहे हैं। जनवरी से 06 सितम्बर के बीच में 195 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। मनोचिकित्सक और सामाजशास्त्री की मानें तो भौतिकतावाद की होड़ में युवा हार मान ले रहा है। आठ अगस्त को क्राइम ब्रांच में पदस्थ आरक्षक राहुल सिंह सेंगर (30) ने सर्विस पिस्टल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस जांच में सामने आया कि पति-पत्नी के बीच घरेलू कलह चल रही थी। कटंगी में 11 जुलाई को प्रौढ़ सूदखोरों से परेशान होकर जहर खा लिया। पांच मई को सिहोरा में शिक्षिका फंदे से झूल गई। 14 मई को होमगार्ड में एएसआई ने ड्यूटी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। 28 मई को बरगी में पीएचई के एक कर्मी ने आत्महत्या कर ली।

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