यहां दुनिया की सभी किस्मों का संरक्षण किया जाएगा। यह लाइव संग्रह है जहां आम की किस्मों का इतिहास और औषधीय मूल्य की जानकारी संग्रहित की जाएगी। यह प्रकृति को मेरा छोटा सा दान है। यह कहना है जबलपुर के व्यवसायी और बिजनेस मोटीवेटर प्रेम दुबे का। जिन्होंने आम की खेती और उससे मिलने वाले लाभ के साथ-साथ पढ़ाई करने वालों के लिए अपने फार्म हाउस को एक पाठशाला के रूप में परिवर्तित कर दिया है। आम फलों का राजा है। इसकी गुठली, पत्तियां, लकड़ी सभी कुछ बेहद उपयोगी हैं। इसमें सभी तरह के विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं।
भारत में आम की खेती 5000 साल पहले शुरू की गई थी। आम की 1400 देशी प्रजातियां होती हैं। कोरोना काल में जब 2 वर्ष हम सभी घरों में बंद थे तब मैं लगातार अपने फॉर्म हाउस में जाया करता था। जब पूरी दूनिया बंद थी तब भी प्रकृति अपना काम कर रही थी। बचपन से मुझे पेड़ पौधे लगाने का शौक था। इसी दौरान मुझे मैंगो म्यूजियम या कहें एक जीवंत पाठशाला बनाने का ख्याल आया और मैंने आम की विभिन्न प्रजातियों को इकट्टा करना शुरू कर दिया था, और आज मेरे पास 150 प्रजाति के आम के पौधे हैं।
विभिन्न देशों से बुलाए खास आम
मैने बांग्लादेश, थाईलैंड, अमेरिका, अफ्रीका, चाइना, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, फिलिपींस आदि देशों के विभिन्न प्रकार के आम की प्रजातियों के पौधे एकत्र किए इनमें जापान का मियाजाकी, टॉमी एटकिन्स, अमेरिका सैनसेशन, गैलनेन अमेरिका, नम डौक माई, अलफांसो बलैक मैंगो, अलफांसो ग्रीन मैंगो, अलफांसो रेड, थाइलैंड आदि के सभी प्रसिद्ध आम के पौधे लगाए हैं।
देश-विदेश से एकत्र 150 किस्म की आम की प्रजातियों को एकत्र कर सभी प्रसिद्ध किस्मों का मैंगो म्यूजियम बनाया है। यहां दुनिया की सभी किस्मों का संरक्षण किया जाएगा। यह लाइव संग्रह है, जहां आम की किस्मों का इतिहास और औषधीय मूल्य की जानकारी संग्रहित की जाएगी। इनमें कई प्रजातियों के आम दुनिया में बहुत महंगे बिकते हैं इस म्यूजियम में हजारों, लाखों की कीमत के विभिन्न प्रजाति के आम हैं। यह प्रकृति को मेरा छोटा सा दान है।