‘इससे तो रुक जाएगा प्रदेश का औद्योगिक विकास’
जबलपुरPublished: Mar 07, 2020 11:42:01 am
बिजली की दरों में वृद्धि के खिलाफ महाकौशल चेंबर ने भेजी नियामक आयोग को आपत्तियां
Big decision of overbearing IPS in Madhya Pradesh
जबलपुर. बिजली टैरिफ में वृद्धि के लिए मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी की ओर से मध्य प्रदेश नियामक आयोग में ट्रूअप याचिका पेश की गई। याचिका पर सुनवाई के पूर्व आयोग ने दावे आपत्तियां बुलाई थी। महाकौशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स समेत अधिवक्ताओं व अन्य ने आपत्तियां आयोग को भेजीं।
महाकोशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने आपत्ति में कहा है कि वर्तमान दरों को पड़ोसी राज्यों यथा छत्तीसगढ़ से अत्याधिक बताया है वावजूद प्रस्तुत याचिका में इन राज्यों से विशेष कर छतीसगढ़ से 35 प्रतिशत अधिक दरें प्रस्तावित की हैं। यदि प्रदेश में यह प्रस्ताव स्वीकृत हुआ, तो प्रदेश का औद्योगिक विकास अवरुद्ध हो जाएगा। नियामक आयोग के समक्ष चेम्बर के मानसेवी मंत्री शंकर नाग्देव ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद पूरा देश एक बाजार का रूप ले रहा है। यदि प्रदेश में विद्युत दरों में अन्य प्रदेशों से इतना अधिक अंतर होगा तो प्रदेश के उद्योग प्रतिस्पर्धा में पिछड कर देश के बाजार से बाहर हो जाएंगे। इंद्रा गृह ज्योति योजना में छोटे एवं मध्यम उपभोगताओं को 150 यूनिट की छूट घटा कर 100 यूनिट करने पर भी आपत्ति की गई है। नए उद्योगों, छोटे उद्योगो एवं कम खपत वाले उद्योगों को फिक्स चार्ज एवं यूनिट चार्ज में भी आपत्ति में छूट की मांग की गई प्रदेश में बिजली की अधिकता को देखते हुए डिमांडबेस उपभोगताओं को डिमांड से 120 प्रतिशत से अधिक होने पर दुगने तक की मूल्य वृद्धि फिक्स चार्ज में की जाती है उसे समाप्त करने आपत्ति में सुझाव दिया गया है। चेम्बर अध्यक्ष रवि गुप्ता, उपाध्यक्ष राजेश चंडोक, शांति भाई पटेल, युवराज जैन गढावाल, अखिल मिश्र आदि ने याचिका में संशोधन की मांग की है।
बैंकिंग का कुप्रबंधन, खरीदी में धांधली
अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल और राजेश चौधरी ने आयोग को भेजी सुझाव में कहा है कि लेखा विवरण तैयार करने में अवैध कार्यप्रणाली अपनाई गई है। पिछले पांच वर्षों की सत्यापन याचिकाओं के वित्तीय प्रभार का उल्लेख याचिका में नहीं है। बिजली की आवश्यकता और कंपनी की अक्षमता का विशलेषण होना चाहिए। क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज और अतिरिक्त सरचार्ज की वसूली की जाए। रेलवे, उद्योग की ओर से रिनुबेवल ऊर्जा खरीदी के दायित्व का पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने आपत्ति में कहा कि घरेलू उपभोक्ता पर 33 प्रतिशत तक की वृद्धि जायज नहीं है।