जबलपुर से लगे घाना, सोनपुर, मटामर, रिठौरी, खंदारी में मगरमच्छ की संख्या बहुतायत में है। इसकी मुख्य वजह यहां परियट नदी का किनारा होने के साथ जलाशय और प्राकृतिक चट्टानें, घनी हरियाली है। एक मगरमच्छ 30 से 40 अंडे देता हैं। इनकी टेरेटरी तक लोगों की दखलअंदाजी, नदियों के उत्खनन से मगरमच्छ के कुछ बच्चे ही जीवित रह पाते हैं। भोजन की कमी से दूसरे मगरमच्छ इनका भक्षण कर लेते हैं
हाईकोर्ट के निर्देश पर भी अमल नहीं- वर्ष 2005 में मगरमच्छ के संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। उस दौरान न्यायालय ने मगरमच्छ के संरक्षण और लोगों को जागरूक करने के निर्देश वन विभाग को दिए थे। लेकिन, वन अमले ने कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की।
जबलपुर में मगरमच्छ की अच्छी खासी संख्या है। मगरमच्छों के संरक्षण के लिए क्रोकोडाइल पार्क बनाया जाना चाहिए। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इस दिशा में शासन-प्रशासन स्तर पर गम्भीर प्रयास नहीं हुए हैं।
शंकरेंदु नाथ मुखर्जी, वन्य प्राणी विशेषज्ञ