scriptबच्चों के विकास पर थायराइड का ब्रेक | Thyroid break on children's development | Patrika News

बच्चों के विकास पर थायराइड का ब्रेक

locationजबलपुरPublished: May 25, 2020 09:29:54 pm

Submitted by:

shyam bihari

जन्म के समय ही थायराइड की जांच कराने की होती है जरूरत
 

Thyroid

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जबलपुर। थायराइड बीमारी उभरकर सामने नहीं आती है लेकिन शरीर में इसके काफी दुष्प्रभाव होते हैं। जांच के बाद थायराइड का पता चलता है। कुछ लोगों को पता नही चल पाता है कि वे थायराइड के साथ जी रहे हैं। महिलाओं में थायराइड की बीमारी ज्यादा होती है। जिस मां को थायराइड होता है, उसके बच्चे को थायराइड होने का जोखिम ज्यादा रहता है। थायराइड के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास पर ब्रेक लग रहा है। जन्म के समय ही थायराइड की जांच कराने की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार गले मे तितली के आकार की थायराइड ग्रंथी होती है। यह गं्रथी थायराइड का हार्मोंस बनाती है। हार्मोंस का असंतुलन होने पर बीमारी की शुरूआत होती है। यह आनुवांशिक बीमारी है। हाइपो और हाइपर दो प्रकार के थायराड होते हैं। थायराइड होने पर मोटापा, पतलापन, गंजापन, बांझपन, चिड़चिड़ापन व मानसिक स्थिति के कमजोर होने जैसी समस्याएं सामने आती है।
जन्म के समय ही लें सैम्पल
थायराइड रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष डेंगरा ने बताया कि कुल आबादी के 7.7 प्रतिशत बच्चे व 4.9 प्रतिशत बड़ों में हाइपोथायराइड की समस्या सामने आ रही है। अगर किसी मां का गर्भावस्था में थायराइड का इलाज हुआ है तो जन्म के समय प्लेसेंटा से थायराइड का ब्लड सैम्पल लेना चाहिए। जबकि, जन्म के 7 वें दिन भी सैम्पल की जांच की सकती है। शुरूआती दौर में रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर इलाज शुरू हो जाता है। सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो थायराइड से शरीर का नुकसान कम होता है। मेडिकल कॉलेज की गायनकोलॉजिस्ट डॉ. प्रियदर्शिनी तिवारी ने बताया कि पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में थायराइड की बीमारी ज्यादा होती है। ओपीडी में 3-4 प्रतिशत महिलाओं को थायराइड की बीमारी निकल रही है। अब सभी गर्भवती महिलाओं की थायराइड जांच अनिवार्य कर दी गई है। यह आनुवांशिक बीमारी है। मां बीमार है तो बच्चे को भी बीमार होने का जोखिम बढ़ जाता है। थायराइड के कारण बांझपन की समस्या आती है। इस बीमारी के प्रति जागरुकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
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