बाघ को नहीं ले जा सके तो पंचा काट ले गए शिकारी, वन विभाग भी सकते में, सबसे सुरक्षित माना जाता है ये टाइगर रिजर्व, सुरक्षा पर उठे कई सवाल।
मंडला। बाघों के लिए कभी सबसे सुरक्षित माना जाने वाला कान्हा टाइगर रिजर्व अब उतना सुरक्षित नहीं रहा। 2016 बाघों के लिए मनहूस साबित हो रहा है। इस साल लगभग आठ से दस बाघ मारे जा चुके हैं। शनिवार को एक और बाघ केटीआर के बफर जोन में मृत पाया गया। शिकारी बाघ के चारों पैर काट ले गए। कान्हा प्रबंधन अभी इस बात की पुष्टि नहीं कर पा रहा है बाघ की मौत की वजह क्या है? पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही असली वजह का खुलासा हो पाएगा।
शनिवार शाम लगभग 4.30 बजे केटीआर के बफर क्षेत्र वनग्राम मानेगांव के नजदीक स्थित वनक्षेत्र में एक बाघ के मृत पाए जाने की सूचना वनकर्मियों को मिली। वन परिक्षेत्र अधिकारी खटिया एवं उनकी टीम मौके पर पहुंची। बाघ के चारों पैर कटे हुए थे। केटीआर प्रबंधन का कहना है कि प्रथम दृष्टया इस अपराध में स्थानीय लोगों के शामिल होने की आशंका है।
प्रारंभिक जांच के लिए जबलपुर से स्क्वॉड भी बुलवाया गया है। रविवार सुबह स्क्वॉड ने जांच शुरू कर दी है। डॉ. एबी श्रीवास्तव, संचालक, वन्यप्राणी फोरेंसिक एवं स्वास्थ्य केन्द्र जबलपुर एवं उनके सहयोगी डॉ. अमोल करोड़े तथा कान्हा टाइगर रिजर्व के डॉ. संदीप अग्रवाल की टीम ने बाघ का शव परीक्षण किया।
48 घंटे पूर्व मौत
कान्हा प्रबंधन ने जानकारी दी है कि मृत बाघ का शव 48 घंटे पूर्व का है। नर बाघ की उम्र लगभग 6 से 8 वर्ष होगी। बाघ के दांत सुरक्षित पाए गए हैं। संभावना है कि यह कार्य किसी संगठित गिरोह एवं अपराधी का नहीं होगा। बाघ का शव स्थान वनग्राम मानेगांव की सीमा पर था, जहां से बिजली लाइन भी गुजरती है। अत: बाघ की मृत्यु करंट से होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा रहा।
प्रबंधन का ये भी कहना है कि मृत्यु के कारणों का पता पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल पाएगा। आरोपितों की जानकारी देने वाले को 15 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की गई है। यह भी कहा गया है कि सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा।