कान्हा पार्क में लांचिंग
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने वर्ष-२०१० में एम स्ट्राइप्स एप से मॉनीटरिंग की सुविधा शुरू की थी। राज्य के कान्हा नेशनल पार्क में इसे सबसे पहले लॉन्च किया गया। ऐसा दावा किया जा रहा है कि इससे मॉनीटरिंग होने पर जंगल में गश्त व्यवस्था दुरुस्त रहती है। जंगल ड्यूटी का कर्मचारी कहां गया है, कौन सा क्षेत्र छूट गया, ये सभी जानकारियां मिलती हैं। वन अधिकारियों के अनुसार पहले कर्मचारी गश्ती के कार्य रजिस्टर में लिखते रहे हैं, जिससे कई बार झूठी रिपोर्ट की शिकायतें भी सामने आती थीं।
एेसे करता है कार्य
जंगल ड्यूटी के कर्मचारियों को स्मार्ट फोन दिया गया है, जिसमें अपलोड एप के चलते जहां भी वे जाएंगे, वहां से अक्षांश- देशांतर बन जाता है। साथ ही रूट चार्ट बनता जाता है। जंगल में नेटवर्क नहीं होने पर भी रूट चार्ट बन जाता है। वन्य प्राणियों के साक्ष्य भी अपलोड किए जाते हैं। संजय टाइगर रिजर्व में जीपीएस सिस्टम से एेसी मॉनिटरिंग की जाती है।
ज्यादा देर नहीं रुकती जिप्सी
कान्हा नेशनल पार्क में बाघों और वन अमले की मॉनीटरिंग एम स्ट्राइप्स एप के जरिये करने का व्यापक असर हो रहा है। इससे घने जंगलों में भी बाघों की स्थिति पता चलती रहती है। इतना ही नहीं, पार्क में सैलानियों या कर्मियों की जिप्सी भी बाघ के करीब 12 मिनट से ज्यादा रुकने पर नियंत्रण किया जा सकता है। इस एप की जद में आकर शिकारियों और तस्कारों को भी पकडऩे जाने की दहशत है। इसके चलते शिकार की घटनाएं कम हुई है।
कर रहे अपडेट
संजय टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर दिलीप कुमार ने बताया, इसमें नए अपडेट भी शामिल किए जा रहे हैं। अब डाटा आसानी से अपलोड किया जा रहा है।
वन प्रबंधन का दावा
अब बेहतर और मुस्तैद गश्त की पूरी जानकारी मिलती है
अनियमित गतिविधियों के बारे में लग जाती है जानकारी
अलर्टनेस बढ़ी
कान्हा नेशनल पार्क के फील्ड डायरेक्टर संजय शुक्ला के अनुसार एम स्ट्राइप्स एप की मदद से जंगल में बाघों की पूरी जानकारी मिल पा रही है। बाघों वाले क्षेत्र में ज्यादा अलर्ट रहते हैं। कान्हा नेशनल पार्क में कोई भी जिप्सी बाघों के करीब 12 मिनट से ज्यादा नहीं रुक सकती है, इसकी मॉनीटरिंग दूसरे सॉफ्टवेयर से की जाती है।