‘लोग कान्हा, भेड़ाघाट देखना चाहते हैं, लेकिन सडक़ खराब होने के चलते नहीं आते’
जबलपुर के पास से गुजरने वाली 29 सडक़ों की रिपोर्ट हाइकोर्ट में पेश
हटा, दमोह निवासी संदीप बजाज की ओर से 2016 में यह जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि एमपीआरडीसी ने जबलपुर से दमोह के बीच सडक़ बनाने व मेंटेनेंस का ठेका 7 अगस्त 2009 को मुंबई की मेसर्स एस्सेल जबलपुर दमोह टोल रोड प्रालि को दिया। सडक़ बदहाल हो चुकी है, उसमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए। जिसके कारण चलना मुश्किल हो रहा है। ठेके की शर्त के अनुसार सडक़ का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। खस्ताहाल सडक़ के बावजूद कंपनी टोल नाके लगा कर आने-जाने वाले वाहनों से टोल टैक्स वसूल कर रही है। इसकी शिकायत एमपीआरडीसी से की गई।
पूर्व सुनवाइयो में हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के अनुसार पीडब्ल्यूडी के एसई ने अपनी रिपोर्ट सडक़ के गड्ढों के फोटोग्राफ्स के साथ पेश की थी। इसका अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता पर जमकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा था। एमपीआरडीसी के एमडी, लोक निर्माण विभाग व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री की रिपोर्ट साफ कह रही कि सडक़ का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। आखिर इसे सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने जवाब मांगा था। सोमवार को महाधिवक्ता पीके कौरव के साथ उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने राज्य की 29 सडक़ों के सम्बंध में रिपोर्ट पेश की। कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता एनएस रूपराह उपस्थित थे।