पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की शुभ लाभ और अमृत वेला में घट स्थापना करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस बार इस दिन शुभ वेला सुबह 6.6 से 7.26 बजे तक रहेगी। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.46 से 12.34 तक रहेगा। वहीं दोपहर 12.6 से 3.6 तक लाभ वेला रहेगी। यही नहीं रवियोग, सर्वार्थ सिद्धि योग भी शुभ फल देंगे।
23 सितंबर को तृतीया , 24 सितंबर को चतुर्थी , 25 सितंबर को पंचमी और 26 सितंबर को छठी को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। 27 सितंबर को सप्तमी और 29 सितंबर को नवमी को रवि योग बनेगा। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योगों के बाद दशहरा 30 सितंबर को है।
देवी के नौ स्वरूपों की पूजा
नवरात्र िक प्रथम दिन शैलपुत्री के स्वरूप की पूजा होती है। दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा होती है। चौथे दिन कुष्मांडा और पांचवें दिन स्कंध माता की पूजा होगी। छठवें दिन कात्यायनी देवी और सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है। नौवें दिन सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है।
घट स्थापना का शुभ मुहुर्त
पंडित नीलेश तिवारी के मुताबिक मां की पूजा के लिए मिट्टी के घट का ही प्रयोग करना चाहिए। माता का स्मरण करते हुए घट में कलावा बांधकर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। घट में जल एवं गंगाजल को भरें। इसमें सुपारी, हल्दी की गांठ, पंच रत्न के साथ ही एक सिक्का भी डालेंं। घट के ऊपर पंच पल्लव, अशोक के पत्ते या आम के पत्ते लगाएं। बाद में एक नारियल में कलावा बांधकर रखें। नवरात्र में नवार्ण मंत्र का जाप भी करें।