लखनऊ विवि का टॉपर, बन गया साइबर अपराधी
जबलपुरPublished: May 10, 2019 11:49:50 pm
बैंक में चार वर्ष नौकरी करने के बाद करने लगा ठगी, रायपुर और कानपुर में पूर्व में हो चुके हैं गिरफ्तार
लखनऊ विवि का टॉपर, बन गया साइबर क्राइम का सरताज
जबलपुर. एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर लोगों के खाते से गाढ़ी कमाई खाली करने वाले गिरोह से पुलिस को रोज नए-नए चौंकाने वाली जानकारी मिल रही है। पुलिस की गिरफ्त में आया प्रतापगढ़ जिले के करमचंद्रपुर गांव निवासी 26 वर्षीय बजरंग बहादुर उर्फ सावन सिंह लखनऊ विवि का टॉपर रह चुका है। उसने चार वर्षों तक निजी बैंक में अच्छे पैकेज पर जॉब भी किया, फिर गांव के युवकों को देख साइबर क्राइम का सरताज बन गया। इस गिरोह के निशाने पर एसीबीआइ के रूपे व मास्टर कार्ड वाले ग्राहक होते थे।
ओमती पुलिस द्वारा रिमांड पर लिए गए सावन सिंह सहित उसके दोनों साथियों थाना मंधाता के भावलपुर गांव निवासी 26 वर्षीय संदीप सिंह और आशापुर गांव निवासी 23 वर्षीय कुलदीप सिंह से पूछताछ में पता चला कि उनके क्षेत्र के चार से पांच हजार लोग इस तरह की ठगी में शामिल हैं। खुद उनके गिरोह में छह लोग शामिल हैं।
एमपी व छग के एटीएम उनके निशाने पर
एमपी व छग के एसबीआइ के एटीएम इस गिरोह के निशाने पर होते थे। यहां के एटीएम में सिक्युरिटी न होने से ग्राहकों का एटीएम नम्बर व पिन नम्बर स्काइप कैमरे की मदद से चोरी करने में आसानी होती थी। एक वर्ष पूर्व रायपुर की पुलिस ने 40 हजार रुपए निकालने पर सावन और उसके गिरोह को पकड़ा था। इसके अलावा दो वर्ष पहले वे कानपुर में भी पकड़े गए थे।
हर शहर के बाद मोबाइल व सिम बदल देते
ये गिरोह एक शहर में दो-तीन वारदात करने के बाद निकल जाता था। साथ में वे मोबाइल व सिम भी तोड़ कर फेंक देते थे, जिससे पुलिस उन तक न पहुंच सके।
आरबीआइ को लिखा पत्र-
क्राइम ब्रांच और ओमती पुलिस ने प्रकरा में आरबीआइ को पत्र लिखकर एसबीआइ के एटीएम कार्ड की सुरक्षा प्रणाली को लेकर पत्र लिखा है। आरबीआइ की गाइडलाइन के अनुसार एटीएम कार्ड जनरेट होने वाले साफ्टवेयर में हर 10 से 15 दिन में डायनमिक डाटा कोड का प्रयोग करना होता है। ये कोड इस गिरोह को भी दो से तीन दिन बाद मिल जाता था। इससे साफ है कि या तो उन्होंने एसबीआइ के इस प्रणाली को हैक कर लिया है या फिर अंदर का कोई व्यक्ति इसकी जानकारी देता है।
हैदराबाद साइबर लैब में होगी लैपटॉप की जांच
पुलिस ने आरोपियों से लैपटॉप जब्त किया है। इस लैपटॉप में एटीएम क्लोन तैयार करने वाला एमसीआर (मैग्नेटिक कार्ड रीडर) साफ्टवेयर अपलोड है। ये पहला ऐसा साफ्टवेयर है, जिसमें बिना ग्राहक का कार्ड छूए सिर्फ नम्बर व पिन से डुप्लीकेट एटीएम तैयार हो जाता है। इस लैपटॉप में दूसरे साफ्टवेयर भी अपलोड मिले हैं।
पहले कार्ड रीडर लगाकर तैयार करते थे एटीएम क्लोन
ये गिरोह एक वर्ष पूर्व एटीएम में कार्ड रीडर लगाकर ग्राहक के एटीएम का डाटा कॉपी कर लेते थे। फिर इसकी मदद से डुप्लीकेट एटीएम तैयार कर पैसे निकालते थे। अब इस तरीके को बंद कर नए एटीएम का क्लोन तैयार कर रहे थे।
हाइटेक तरीके से दबोचे गए जालसाज-
आरोपियों ने ओमती में एक तो गढ़ा में दो वारदातों को अंजाम दिया था। तीनों में ही सीसीटीवी फुटेज में सावन सभी में मौजूद दिखा था। फोटो आने के बाद उनकी पहचान की चुनौती थी। इसके लिए टीम ने ‘फेस रिकगनाइजेशन’ (एक तरह का सॉफ्टवेयर) की मदद ली। इसमें सावन के चेहरे से मिलते जुलते कई लोगों का डाटा आया। फिर सावन की फेसबुक प्रोफाइल दिखा कर पीडि़तों से तस्दीक करायी गई। उसके फेसबुक की ‘आइपी एड्रेस’ को ट्रैक करते हुए टीम उन तक पहुंची।