केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने थीम बेस्ड टूरिस्ट सर्किट वन्यजीव, बौद्ध, हेरिटेज और ईको सर्किट को विकसित करने का दायित्व राज्य पर्यटन निगम लिमिटेड (कंपनी) को सौंपा है। लेकिन, विकास कार्यों के टेंडर जारी करने और जिम्मेदारी सौंपने में हद दर्जे की लारवाही की गई। ढेर सारी गड़बडिय़ां भी सामने आईं। जांच एजेंसियों ने इस पर सवाल भी उठाए। लेकिन, सख्त कार्रवाई के बजाय लीपापोती अधिक की गई। इससे प्रोजेक्ट मूर्त लेने के मामले में काफी पिछड़ गए। खासकर इनमें दो सर्किट वन्यजीव और हेरिटेज सर्किट में अधिक गड़बडिय़ां पकड़ी गईं। इनमें भूमि अधिग्रहण में दिक्कतों के चलते निर्धारित कई कार्यों में कटौती से लेकर प्रोजेक्ट में देरी जैसी गफलत शामिल हैं। इन दो प्रोजेक्ट्स के एक दर्जन कार्यआदेश देरी से पूरे किए गए। निर्माण ठेकेदारों की मनमानी सामने आई है। आधा दर्जन से अधिक ऐसे कार्यों को अंजाम दिया गया, जो डीपीआर में शामिल ही नहीं थे। परिपथ को सुविधा युक्त बनाने के लिए पट्टे पर देने को छोडकऱ कंपनी को अभी भी सुविधाओं के विस्तार और उसके संचालन और रखरखाव के लिए अन्य विभागों के साथ समन्वय से क्रियान्वित किया जाना बाकी है। अन्य गड़बडिय़ों में कुछ ठेकेदरों के फर्जी उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का कारनामा भी शामिल हैं। उन्होंने काम शुरू किए बिना प्रकाश व्यवस्था के नाम पर लाखों रुपए निकलवा लिए। इसका काम बाद में शुरू किया गया। कार्रवाई का दबाव बढऩे के बाद उसे वसूलने की तैयारी है। जिम्मेदार इसकी वसूली कंपनी के बकाया बिलों से कटौती करके करेंगे।
केंद्र सरकार ने 13 ‘थीम’ आधारितपरिपथों वाली स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत कुल 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। अभी कुछ ही पूरी हुई हैं। ज्यादातर पर काम जारी है। लक्ष्य पहचान किए स्थलों का समग्र विकास, वहां पर्यटन सुविधाओं के विस्तार के अलावा रखरखाव और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित करना है। विभिन्न पर्यटन स्थलों के स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा देना है। इसके प्रचार-प्रसार के लिए ‘इनक्रेडिबल इंडिया’ नाम से वेबसाइट बनाई गई है। सार्वजनिक निजी भागीदारी ‘पीपीटी मोड’ पर पर्यटन योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य है। इसमें पुराने स्थानों का जीर्णोद्धार भी शामिल है। मध्यप्रदेश में इस परियोजना के अंतर्गत चार पर्यटन सर्किट के लिए 359.75 करोड़ रुपए बजट के साथ मंजूर किए गए हैं। विभागीय दावा है कि वन्य जीव सर्किट का 80 प्रतिशत, हेरिटेज सर्किट का 70 प्रतिशत, बौद्ध सर्किट का 63 प्रतिशत और ईको परिपथ का 55 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। हालांकि, जमीनी स्तर पर ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा।
1. ईको परिपथ (99.62 करोड़ रुपए)- गांधीसागर बांध-मंडलेश्वर बांध-ओंकारेश्वर बांध-इंदिरा सागर बांध-तवा बांध-बरगी बांध-भेड़ाघाट-बाणसागर बांध-केन नदी को जोड़ेगा।
2. वन्य जीव परिपथ (92.22 करोड़ रुपए)- पन्ना-मुकुंदपुर-संजय-डुबरी, बांधवगढ़-कान्हा-मुक्की-पेंच को जोड़ेगा।
3. विरासत परिपथ (92.97 करोड़ रुपए)-ग्वालियर-ओरछा, खजुराहो-चंदेरी, भीमबेटका-मांडु को जोड़ेगा।
4. बौद्ध परिपथ (74.94 करोड़ रुपए)- सांची-सतना-रीवा-मंदसौर-धार को जोड़ेगा
वर्जन
अंचल में 200 किलोमीटर क्षेत्र में चारों ओर पर्यटन के बड़े केंद्र हैं। इनमें नेशनल टाइगर रिजर्व, धार्मिक पर्यटन के केंद्र भी शामिल हैं। केंद्र व राज्य सरकार की इस पूरे जोन में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने कई सर्किट विकसित करने की योजना है। इस पर तेजी से काम हो, क्षेत्र में पर्यटन सुविधाएं, कारोबार बढऩे के साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़े इस पर फोकस करेंगे। जिन प्रोजेक्ट में काम नहीं हुआ है उन्हें भी गति देंगे।
विनोद गोंटिया, अध्यक्ष मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम