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जबलपुर

कोरोना के बाद आई अच्छी खबर, चलने लगीं हर तरफ की ट्रेनें, पढ़ें पूरी खबर

कोरोना के बाद आई अच्छी खबर, चलने लगीं हर तरफ की ट्रेनें, पढ़ें पूरी खबर
 

जबलपुरSep 03, 2021 / 11:35 am

Lalit kostha

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जबलपुर। कोरोना महामारी फैलने पर बंद की गई रेलवे की ज्यादातर यात्री ट्रेनों के पहिए फिर से घूमने लगे हैं। जनरल टिकट के काउंटर खुल चुके हैं। शहर से इटारसी, कटनी के बाद सिंगरौली के लिए भी मैमू टे्रन चलाने की पश्चिम मध्य रेल ने तैयारी कर ली है। दक्षिण पूर्व मध्य रेल अपनी मैमू ट्रेनों का संचालन पहले ही शुरू कर चुकी है। हर तरफ यात्रियों को राहत देने एक्सप्रेस के बाद लोकल ट्रेनें पटरी पर उतर चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर लम्बे समय से बेहतर ट्रेन कनेक्टिविटी के लिए तरस रहे जबलपुर-गोंदिया रेलमार्ग पर अभी तक रोजाना यात्री ट्रेन नहीं चल सकीं हैं। नैरोगेज के ब्रॉडगेज में बदलने और इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा होने के बाद भी सम्भाग के तीन जिले मुख्यालय से नहीं जुड़ सके हैं। एक अदद ट्रेन के प्रतिदिन नहीं चलाए जाने से सम्भाग के आदिवासी बाहुल्य जिलों के लोगों की आवाजाही मुश्किल बनी हुई है। दपूमरे के जनसम्पर्क अधिकारी साकेत रंजन के अनुसार मैमू ट्रेन संचालन का प्रस्ताव है। रेल बोर्ड के निर्देश प्राप्त होते ही ट्रेन प्रारम्भ कर दी जाएगी।

सम्भाग के तीन जिलों के मुख्यालय का नहीं जुड़ सका लोकल टे्रन कनेक्शन
हर तरफ चल पड़ीं ट्रेन, छूट गया सिर्फ नैनपुर-गोंदिया ट्रैक

बड़ी लाइन पर भारी पड़ा भूगोल
अंग्रेजों के जमाने में बनाई गई नैरोगेज लाइन के ब्रॉडगेज (बड़ी लाइन) बनने के बाद तीन जिलों से जबलपुर तक आवाजाही बेहतर होने की उम्मीद थीं, लेकिन इस ट्रैक का भूगोल रेल यात्री सुविधाओं में पिछडऩे का कारण बन गया है। इस ट्रैक से जुड़े ज्यादातर क्षेत्र का जबलपुर से सीधा सम्पर्क है। जहां पश्चिम मध्य रेल का मुख्यालय है, लेकिन कछपुरा (जबलपुर) से नैनपुर की ओर ट्रैक शुरु होते ही रेल जोन बदल जाता है। ये ट्रैक दक्षिण पूर्व मध्य रेल के नागपुर रेल मंडल के अधीन है। रेल मंडल का मुख्यालय महाराष्ट्र (नागपुर) और दपूमरे का मुख्यालय छत्तीसगढ़ (बिलासुपर) में है। यही बड़ी वजह प्रदेश के इस रेलमार्ग में यात्री ट्रेनों को चलाने में विलम्ब की वजह बन रही है। स्थानीय नेता भी दोनों राज्यों में स्थित रेल अधिकारियों को प्रतिदिन यात्री ट्रेनें चलाने के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं।

 

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IMAGE CREDIT: patrika

कॉलेज-कोरोबार सब में दिक्कत
जबलपुर-नैनपुर-गोंदिया रेलमार्ग के जरिए सम्भाग के तीन जिले सिवनी, मंडला और बालाघाट जुड़ते हैं। कोरोना संक्रमण के नियंत्रण में आने के बाद स्कूल-कॉलेज में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है। कारोबार फिर से गति पकड़ रहा है। रोजगार के तलाश में भी लोग घरों से बाहर निकल रहे है। ऐसे में तीन जिलों के लिए एक भी लोकल ट्रेन नहीं होने से स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ गई है। तीनों जिलों में कई इलाके ऐसे भी हैं जिनकी कनेक्टिविटी रेल पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्र में कामकाज के लिए आने वाले मजदूर भी लोकल ट्रेन नहीं होने से हताश हैं।

यहां एक और मैमू ट्रेन, इधर प्रस्ताव का झुनझुना
जबलपुर-सिंगरौली के बीच इंटरसिटी ट्रेन के बंद होने से उसके विकल्प के रूप में पमरे ने मैमू ट्रेन चलाने की तैयारी पूरी कर ली है। इसके बाद पमरे के सभी रेलमार्ग पर एक्सप्रेस ट्रेन के साथ लोकल ट्रेन की भी सुविधा होगी, लेकिन दपूमरे की ओर से मैमू ट्रेन चलाने के नाम पर लम्बे समय से सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। जबकि नैनपुर में आकर खड़े मैमू के रैक से बालाघाट-गढ़ा के बीच ट्रायल हो चुका है। कटंगी-बालाघाट-मंडला के बीच भी लोकल ट्रेन ट्रायल हो चुकी है। फिर भी अभी तक न तो मैमू ट्रेन के लिए कोई समय-सारिणी तैयार की गई है, न ही इसके संचालन की कोई समय-सीमा निर्धारित हुई है। सप्ताह में चार दिन चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेन तीनों जिलों के क्षेत्र से देर रात को गुजरती है। इससे यात्रियों की कोर्ट, कॉलेज, कमिश्ररी के कामकाज से शहर तक आवाजाही की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही हैं।

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