हाईकोर्ट का निर्देश- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कराए ट्रांसजेंडर्स का सर्वेक्षण
इंदौर निवासी ट्रांसजेंडर नूरी व अन्य की ओर से अधिवक्ता शन्नो शगुफ्ता खान ने यह जनहित याचिका पेश की। इसमें कहा गया कि 2011 की जनसंख्या के अनुसार प्रदेश में 29 हजार से अधिक किन्नर हैं। समाज की मुख्यधारा से अलग होने से इनकी आजीविका का भिक्षाटन के अलावा अन्य जरिया नहीं है। ऐसे में कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन से इनकी हालत बहुत खराब हो गई है। उन्हें सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है। उसके सहित इंदौर निवासी किन्नर संध्या (संदीप कुमार) व 30 अन्य किन्नरों की ओर से गत वर्ष जनहित याचिका दायर की गई। 20 जुलाई को मप्र हाइकोर्ट ने प्रदेश में निवासरत ट्रांसजेंडर्स को कहा कि कोई भी समस्या होने पर वे सम्बंधित कलेक्टर के समक्ष जा सकते हैं। सरकार को कहा गया कि ऐसी शिकायत आने पर विधिवत उसका निराकरण किया जाए।
नहीं बन रहे राशन, आधार कार्ड
अधिवक्ता खान ने तर्क दिया कि किन्नर समुदाय दो वर्ग में विभाजित है। एक डेरा से जुड़े, जो टोली में बधाई देने का काम करते हैं। यह आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग है। जबकि दूसरा तबका घरों में असंगठित रूप से रहकर, नाच-गाकर उदर पोषण करता है। कोरोनाकाल में दूसरे वर्ग के किन्नरों के हालात बहुत खराब हो गए हैं। अधिकांश किन्नरों के राशन, आधार कार्ड नहीं बनने से उन्हें ट्रांसजेंडर्स कार्ड व अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने नेशनल फूड सिक्युरिटी एक्ट के तहत हितग्राहियों की सूची में किन्नरों को भी शामिल कर लिया है।