छिंदवाड़ा के हृदेश श्रीवास्तव व सारिका श्रीवास्तव ने याचिका दायर कर कहा कि उन्होंने गरीब बच्चों के लिए चाइल्ड केयर यूनिट खोलने के लिए कलेक्टर से अनुमति ली थी।
तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता साइट इंस्पेक्शन के लिए छिंदवाड़ा बालक संरक्षण समिति के समक्ष आवेदन पेश करने उनके कार्यालय गए। बातचीत के दौरान कुछ विवाद हो गया।
बाद में समिति ने आवेदकों के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने और धमकी देने का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज करा दी। कोर्ट में चालान भी पेश किया गया। आवेदकों ने एफआइआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
इधर, सरकारी वकीलों की नियुक्ति में आरक्षण पर हाईकोर्ट ने सुनाया सुरक्षित फैसला
मप्र हाईकोर्ट ने अपना सुरक्षित किया गया फैसला शुक्रवार को सुनाते हुए कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय के सरकारी वकीलों की नियुक्ति में आरक्षण नियम लागू करने के लिए कोर्ट सरकार को निर्देश नहीं दे सकती।
जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने 22 पृष्ठीय आदेश पारित कर इस सम्बंध में असमर्थता व्यक्त की। कोर्ट ने ओबीसी एडवोकैट्स वेल्फेयर एसोसिएशन की याचिका निराकृत करते हुए कहा कि राज्य सरकार चाहे तो शासकीय अधिवक्ताओ की नियुक्तियों में आरक्षण के नियम लागू कर सकती है।