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Triple Talaq Supreme Court of India‬‬ तीन तलाक खिलाफ बोला ये मुस्लिम नेता, कट्टरपंथियों ने जारी किया फतवा

locationजबलपुरPublished: Aug 22, 2017 04:58:00 pm

Submitted by:

Lalit kostha

भाजपा नेता एसके मुद्दीन ने कहा था यह कुप्रथा होनी चाहिए बंद, हुक्का पानी बंद करने के साथ ही सरे रिश्ते तक ख़त्म करने की बात कही गई थी

‪‪Triple Talaq in India‬

‪‪Triple Talaq in India‬

जबलपुर। कट्टरपंथियों के रवैये के कारण इस्लाम की छवि खराब हो रही है। कुरआन शरीफ में बताया गया है कि तलाक देना खुदा को नापसंद है। तलाक देने से कुदरत का संतुलन बिगड़ता है और यह गुनाह ए अजीम है। कुरआन शरीफ हिदायत देता है कि तलाक नहीं दी जाए, फिर भी किसी बड़ी मजबूरी के चलते देना हो तो वह कुरआन ए पाक व हदीस की शरीयत की रोशनी में होनी चाहिए। यह बात मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक एसके मुद्दीन ने जब कही तो कट्टरपंथी उनके खिलाफ हो गए थे। यही नहीं उनके खिलाफ तो फतवा भी जारी कर दिया गया था। उनका हुक्का पानी बंद करने के साथ ही सरे रिश्ते तक ख़त्म करने की बात कही गई थी। लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे और लड़ाई लड़ते रहे। आज जब फैसला आया तो मुद्दीन समेत उनके समर्थकों ने ख़ुशी जाहिर की है।

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सोशल मीडिया पर हुआ वायरल
तीन लतलक के बयान पर कट्टरपंथियों ने जमकर भड़ास निकली और उनके खिलाफ एक पर्चा सोशल मीडिया में जमकर वायरलkar दिया। पर्चे को फतवे का नाम दिया गया। हालांकि पत्रिका फतवे की पुष्टि नहीं करता, लेकिन एक पक्ष का कहना है कि यह फतवा ही है और इसे कट्टरपंथियों ने जारी किया है। पर्चा नुमा फतवे में उसे जारी करने वाले के नाम का उल्लेख नहीं है। हालांकि मुद्दीन इससे भयभीत नहीं है। उनका कहना था कि वे शरीयत का पालन करते हैं। केवल नाजायज ढंग से दिए गए तलाक को गलत मानते हैं। यदि फिर भी कोई इसके खिलाफ दुष्प्रचार करता है तो वे उसके खिलाफ मान हानि का केस करेंगे।

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यहां हुआ सुधार
मुद्दीन ने कहा तीन तलाक, बहु विवाह के साथ लैंगिक मतभेदों को लेकर जब अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंण्डोनेशिया, कुवैत, लेबनान और सीरिया जैसे 22 इस्लामिक देशों ने कुरआन व हदीस शनियत को सामने रखकर मुस्लिम पर्सनल लॉ और अन्य कानूनों में सुधार कर लिया है। भारत में भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

ऐसे दे रहे तलाक
नशे में, मजाक-मजाक में या फिर गुस्से में एक आदमी अपनी पत्नी को तलाक दे देता है, जिसे लोग स्वीकार भी कर लेते हैं। ऐसे में उस महिला पर क्या गुजरती है जो इस तकलीफ के भंवर से गुजरती है। उन्होंने कहा ऐसे मनचाहे तलाक एवं हलाला को आज के प्रगतिशील समाज में कैसे स्वीकारा जा सकता है, इससे अन्य समाज के लोग यह समझते हैं कि इस्लाम में औरतों को कोई अधिकार नहीं है, वह अपनी पूरी जिंदगी पर्दे में गुजार लेती है। इस मौके पर जिला संयोजक नसीम बेग, मौलाना चांद कादरी, शाकिर कुरैशी, शाहरुख मुद्दीन आदि मौजूद थे।

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