एसपी नीरज सोनी ने बताया कि सूचना मिलने पर गढ़ा गंगानगर के सुधीर सोनी, राहुल विश्वकर्मा को पकड़ा था। इन्होंने पूछताछ में बताया कि उन्हें संस्कारधानी हॉस्पिटल के पैथोलॉजिस्ट राकेश मालवीय ने इंजेक्शन दिए। राकेश को दबोचा तो उसने दीक्षितपुरा निवासी आशीष हॉस्पिटल के डॉ. नीरज साहू का नाम लिया। नीरज की निशानदेही पर लाइफ मेडिसिटी के डॉ. जितेंद्र सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया गया।
अस्पताल में से ऐसे करते थे गोलमाल
लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल में संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है। यहां डॉक्टर ठाकुर मरीजों के इंजेक्शन चोरी कर लेते थे। दस्तावेजों में इंजेक्शन लगने की बात दर्ज की जाती थी। डॉ. ठाकुर बीएचएमएस व डॉ. साहू बीएएमएस है।
इधर, दो पर रासुका
इधर, रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में गिरफ्तार जबलपुर के ही न्यू मुनीष मेडिकल स्टोर्स के दोनों कर्मचारियों पर रासुका की कार्रवाई की गई है।
जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे गम्भीर कोरोना मरीजों से भी लूट हो रही है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी की आड़ में इसकी मरीजों से मनमानी कीमत वसूली जा रही है। स्टॉकिस्ट से निजी अस्पताल पहुंचने तक इंजेक्शन की कीमत उसके अंकित मूल्य से दोगुनी हो रही है। प्रशासन की निगरानी में इंजेक्शन की व्यवस्था होने के बावजूद खुलेआम मुनाफाखोरी हो रही है। 22 सौ रुपए के अंकित मूल्य वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन के निजी अस्पताल कम से कम 54 सौ रुपए वसूल रहे हैं।
कई गुना वसूली
इंजेक्शन की मांग बढऩे पर इसकी थोक दुकानों से सीधे कोरोना मरीज के नाम पर अस्पतालों को आपूर्ति की जा रही है। इससे फुटकर दुकानों से बिक्री का कमीशन भी नहीं लग रहा है। जानकारों ने बताया कि कोरोना से पहले अंकित मूल्य से कम कीमत पर खुले बाजार में यह इंजेक्शन उपलब्ध था। अब सीधे स्टॉकिस्ट बेच रहे हैं। लेकिन इससे मरीजो को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। उल्टा निर्धारित मूल्य के दोगुने और उससे भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। अलग-अलग कंपनी के इंजेक्शन में मुनाफा की दर में भी कमीशनबाजी के कारण काफी अंतर आ रहा है।