जबलपुरPublished: May 28, 2019 08:41:34 pm
prashant gadgil
यूएपी ट्रिब्यूनल की सुनवाई पूरी
mp high court
जबलपुर। केंद्र व राज्य सरकार की ओर से मंगलवार को यूएपी ट्रिब्यूनल (विधिविरुद्ध क्रियाकलाप अधिकरण) के समक्ष कहा गया कि सिमी की गतिविधियां भूमिगत तरीके से जारी हैं। केंद्र सरकार और एटीएस ने कहा कि सिमी का टच अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आइएसआइ से होने के पुख्ता सबूत हैं। उधर, सिमी के वकील ने प्रतिबंध हटाने पर जोर दिया। ट्रिब्यूनल की रिपोर्ट सुको के समक्ष पेश क ी जाएगी।
रिपोर्ट से तय होगा सिमी का भविष्य
दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस मुक्ता गुप्ता की अध्यक्षता में सुको की ओर से गठित ट्रिब्यूनल की सुनवाई मंगलवार को लगभग ढाई घंटे चली। पूरी बहस व उसके आधार पर की जाने वाली अनुशंसा सहित रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। रिपोर्ट के निरीक्षण के बाद सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि सिमी पर प्रतिबंध बरकरार रखा जाए या खत्म किया जाए।
कुल 32 शपथपत्र पेश
अंतिम बहस से पूर्व एटीएस की ओर से प्रतिबंध बरकरार रखने के समर्थन में 14 जबकि सिमी की ओर से इसके खिलाफ 18 शपथपत्र पेश किए गए। मप्र एटीएस चीफ सजीव सिंह ने स्वयं उपस्थित होकर ट्रिब्यूनल को बताया कि अंडरग्राउंड तरीके से सिमी की देशविरोधी गतिविधियां लगातार जारी हैं। प्रतिबंधित संगठन का नेटवर्क देश-विदेश के कई आतंकी संगठनों से होने के प्रारंभिक सबूत हैं।
गतिविधियां बंद करने का ढोंग
एडीशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने ट्रिब्यूनल को बताया कि केन्द्र को मिली जानकारी के मुताबिक प्रतिबंध के बाद से सिमी संगठन दिखावे के लिए अनुचित गतिविधियां बंद करने का ढोंग कर रहा है। जबकि हकीकत में सिमी से जुड़े लोग अब भी स्लीपर सेल के रूप में खासे सक्रिय हैं। इनकी मदद के चलते बीते सालों में देश में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया गया। सिमी की आतंकी व देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते प्रतिबंध बरकरार रखना जरूरी है। सिमी के वकील नईम खान ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न 140 दृष्टांत पेश कर इनके आधार पर प्रतिबंध हटाने की पैरोकारी की। उन्होंने तर्क दिया कि देश भर में अब तक 188 सिमी आरोपितों को अदालतें बरी कर चुकी हैं। प्रतिबंध के बाद से सिमी के खिलााफ देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने का कोई आरोप नहीं है।