जबलपुर

तुलसी की शादी में झूमकर नाचीं गोपियां, आप को मुग्ध कर देगा वीडियो

एकादशी पर जगह-जगह हुए विविध कार्यक्रम, धूमधाम से हुआ तुलसी विवाह

जबलपुरOct 31, 2017 / 09:01 pm

Premshankar Tiwari

Unique Dance in Tulsi Shaligram Wedding

जबलपुर। देवोत्थानी यानी प्रबोधनी एकादशी पर मंगलवार को शहर में विविध कार्यक्रम हुए। बाजारों में जहां छोटी दीवाली की रौनक रही, वहीं घरों में सुबह से ही पर्व की तैयारियों का दौर चला। तुलसी और शालिग्राम के विवाह की रस्म भी निभायी गई। त्रिमूर्ति नगर में तो तुलसी विवाह का भव्य कार्यक्रम हुआ। इसके तहत कार्तिक व्रतधारी महिलाओं (गोपियों) ने घर-घर जाकर लोगों को हल्दी लगाई फिर तुलसी विवाह की खुशी में झूमकर नाचीं। गोपियों का नृत्य देखकर लोग मंत्र मुग्ध हो गए।
पूरे माह स्नान
गोपियों का नेतृत्व कर रहीं सुमन शर्मा व ऊषा मिश्रा ने बताया कि उनकी टोली पूरे कार्तिक माह व्रत रखती है। पूरे कार्तिक माह सुबह स्नान के साथ भजनों का कार्यक्रम चलता है। उनकी टोली घरों में जाकर नृत्य-गीत का आयोजन करती है। एकादशी पर आज भी घर-घर जाकर भजन किए गए। आज का दिन तुलसी और शालिग्राम के विवाह के लिए समर्पित रहा।
सुबह से शुरू हुई तैयारी
टोली की सदस्य शीला पांडेय ने बताया कि तुलसी और शालिग्राम के विवाह के लिए सुबह से ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। दोपहर में तुलसी के विवाह के उपलक्ष्य में साथी गोपियों को हल्दी लगाई गई। उन्हें तेल और उबटन लगाने की रस्म निभाई गई। रात्रि में बैंड बाजों की धुन पर शालिग्राम की बारात निकाली गई और उनके साथ तुलसी के सात फेरों की रस्म निभाई गई। इस दौरान कॉलोनी में उत्सव का माहौल रहा। कार्यक्रम में उमा सोनी, प्रिया तिवारी, खुशबू गुप्ता, रत्ना पांडेय, सविता चौरसिया समेत अन्य महिलाएं शामिल रहीं।
बनाए गन्ने के मंडप
आचार्य डॉ. सतेन्द्र स्वरूप शास्त्री के अनुसार सुखमय दाम्पत्य जीवन और सुख-समृद्धि के लिए भगवान शालिग्राम-तुलसी पूजन किया जाता है। व्रत-अनुष्ठान के साथ शाम को घर के दरवाजे पर गाय के गोबर से चौक बनाकर, रंगोली सजाकर लोगों ने ११ गन्ने का मंडप बनाया और अनुष्ठान किए।
पहले भगवान को भोग
श्रद्धालुओं ने अपनी क्षमता के अनुसार मंडप में मिट्टी, पीतल, चांदी या सोने की मूर्ति स्थापित कर विधि विधान से पूजन किया। ऋतु फल, सब्जियों, चना की भाजी का भोग भगवान को अर्पित किया। कई श्रद्धालु एकादशी से पूर्व मौसमी फल व सब्जियों का सेवन नहीं करते हैं।
बाजार में दिखा रंग

एकादशी पूजन के लिए बाजार में पूजन सामग्री के साथ गन्ना, फूल, अमरूद, सीताफल, आंवला, बैगन, गंवार फल्ली, सकला, कचरिया, सिंघाड़ा की खूब बिक्री हुई। शहर के बड़े फुहारा, दमोहनाका, छोटीलाइन फाटक, मदन महल, ग्वारीघाट, त्रिपुरी चौक सहित अन्य स्थानों पर दुकानें लगीं रहीं। बूढ़ागर के राधेश्याम चौरसिया पान के पत्ते बेचने मदन महल आए। जबकि गंगा सागर की चम्पा बाई और एकता चौक की सरिता बाई ने बताया कि त्योहार पर बिक्री के लिए मौसमी फल, सब्जियां आदि जुटाकर लाईं हैं। इस मौके पर रंगोली, श्रृंगार के सामान व लाइन बताशा भी खूब बिके। आचार्य रामसंकोची गौतम ने बताया कि हरि प्रबोधिनी एकादशी को पूजन-अर्चन से दाम्पत्य जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। भगवान को भोग लगाने के साथ ऋतु फल-सब्जियों का सेवन शुरू हुआ। छोटी दिवाली के रूप में पूजन का विशेष मुहूर्त होता है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.