केले के रेशे से तलाशा तरक्की का रास्ता, बनाए जैकेट और गमछे रविवार को विश्व हिंदू परिषद के गौ रक्षा विभाग के तकनीकी सलाहकार समूह के तत्वावधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। गौ आधारित इस कृषि कार्यशाला का आयोजन नानाजी देशमुख वेटरनरी यूनिवर्सिटी में किया गया। इसमें छत्तीसगढ़ के जांजगीर चापा जिले के तीन किसानों का कमाल भी देखने को मिला। इन किसानों ने केले के पौधों के रेशे से जैकेट और गमछे बनाए और इन कपड़ों की खूब धूम मची हुई है। कार्यशाला में उपस्थित लोगों को बताया गया कि किसानों द्वारा बनाए गए जैकेट और गमछों की खूबियों के कारण कनाडा और अमेरिका के वैज्ञानिक उनके गांव आ चुके हैं। किसानों के समूह के दीनदयाल यादव ने बताया, कपड़ा बनाने में ताना-बाना का उपयोग किया जाता है।
दीनदयाल ने यह भी बताया कि बहेराडीह, कुशमंदा और सिवनी गांव के 15 किसानों के समूह 9 महिलाएं हैं। वे केले के पत्तों से दोना-पत्तल भी बनाते हैं। पेटेंट और ऑनलाइन मार्केटिंग की भी तैयारी की जा रही है। कार्यशाला में गौ पालन एवं संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा, गौ पालन और गौ आधारित कृषि की ओर लौटने पर ही समृद्धि के नए रास्ते खुलेंगे। गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र नागपुर के समन्वयक सुनील मानसिंघा ने कहा, वैज्ञानिक किसानों के प्रयोग की परख रिसर्च के मानकों पर करें। कार्यशाला में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकुमचंद सांवला, केंद्रीय मंत्री उमेश पुरवाल, आनंद सिंह, विनोद सिंह, विजय गोखरू, साकेत जैन ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान संयोजक डॉ. नागस्कर, जितेंद्र बार्ली, गायत्री परिवार के देवेंद्र श्रीवास्तव भी मौजूद रहे।