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इनके हाथ लगते ही सजीव हो उठते हैं गणपति, खास है राज

locationजबलपुरPublished: Sep 15, 2018 07:16:58 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

इनके हाथ लगते ही सजीव हो उठते हैं गणपति

unique sculptor of mp

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जबलपुर। संस्कारधानी में गणपति उत्सव का शुभारम्भ हो गया है। कलाकारों ने मूर्तियों को अंतिम रूप दे दिया है। पंडालों की साज-सज्जा की जा रही है। इनमें विराजित होने वाली भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं के स्वरूप अलग-अलग हैं।
मूर्तिकारों और गणेश उत्सव समितियों ने इस बार पुराणों और इंटरनेट की मदद से डिजाइन के आधार पर गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कराया है। ये प्रतिमाएं भक्तों पर कृपा बरसाने के साथ ही प्रकृति और मानवता का भी संदेश देती नजर आ रही हैं। गणेश चतुर्थी से शुरू हुए दस दिवसीय गणेशोत्सव में भगवान श्रीगणेश के अवतार और मूर्तियों के पैटर्न पर ‘पत्रिकाÓ ने शहर के मूर्तिकारों से बात की। कुछ मूर्तियां पौराणिक तो कुछ मॉर्डन पैटर्न पर बनाई गई हैं।


एक्सपर्ट की राय
कलर एक्सपर्ट ध्रुव गुप्ता के अनुसार पीओपी के कारण मूर्तिकारों का कारोबार चौपट हो रहा था। इसलिए मूर्तिकारों के संगठन ने पीओपी और रासायनिक रंगों से दूरी बना ली। अब घुलनशील रंगों का उपयोग किया जा रहा है। इससे मूर्तियों में नेचुरल लुक आ रहा है।


एकदंत
घमापुर के मूर्तिकार धर्मेंद्र प्रजापति ने बताया, पांच पीढि़यों से उनका परिवार सृजन कार्य से जुड़ा है। पुराणों के आधार पर मूर्तियों की डिजाइन तय की जाती है। एकदंत स्वरूप में गजानन सिंहासन पर विराजमान हैं। प्रतिमा का सम्पूर्ण सिर हाथी जैसा है। उसका एक दांत टूटा हुआ है।


बाल गणपति
शीतलामाई वार्ड के समीप मूर्ति बनाने वाले अनिल प्रजापति ने बताया, वे ३० साल से प्रतिमाएं बना रहे हैं। बाल गणेश में भगवान गणेश शिवलिंग के साथ हैं। वे पूजा के भाव में हैं और सांप के साथ खेल रहे हैं। गणेश प्रतिमाओं में पुराण, डिजाइन का ध्यान रखा जाता है।


लम्बोदर
बाई का बागीचा निवासी अंकुश चक्रवर्ती ने बताया, शास्त्रों के स्वरूप के अनुसार समिति के लोग जो डिजाइन बताते हैं, उनका ध्यान रखा गया है। इस बार लम्बोदर स्वरूप की प्रतिमा बनाई है। इसमें गणपति के पेट का आकार बड़ा है। मुकुट पर शिवलिंग बना है।


नरसिंह भगवान
घमापुर के मूर्तिकार अमित प्रजापति बताते हैं, गजानन के अनेक मंगलकारी स्वरूप हैं। इन्हीं स्वरूपों में कुछ अलग बनाने की कोशिश की जाती है। गणपति सभी देवताओं के प्रिय हैं। इसलिए नरसिंह भगवान के कंधे पर विराजित गणेश प्रतिमा बनाई है।


सिद्धि गणेश
शीतलामाई वार्ड के मूर्तिकार कैलाश चक्रवर्ती बताते हैं, भगवान गणेश के सिद्धि गणेश स्वरूप की प्रतिमाओं की डिमांड ज्यादा है। एक समिति ने वाद्य यंत्रों में भगवान गणेश को बनाने का ऑर्डर दिया है। उनका परिवार कई पीढिय़ों से मूर्तियां बना रहा है।


वक्रतुंड
दमोहनाका के मूर्तिकार और मूर्तिकार संघ के सचिव राकेश चक्रवर्ती ने बताया, छोटी मूर्तियां बनाते-बनाते उन्होंने बड़ी मूर्ति बनाना शुरू किया। महाराष्ट्र के लालबाग के राजा के पैटर्न की प्रतिमाओं के ऑर्डर सबसे अधिक हैं। इसमें भगवान का भव्य एवं शांत भाव प्रतीत हो रहा है।


शक्ति गणेश
शीतला माई मंदिर के पास मूर्ति बनाने वाले अनिल केवट ने बताया, उनकी दूसरी पीढ़ी मूर्तियां बना रही है। इंटरनेट की डिजाइन पर आधारित गणेश प्रतिमाओं की मांग अधिक है। शक्ति गणेश के स्वरूप में चार भुजा, सिंदूरी रंग में भगवान गणेश दिख रहे हैं।


सिद्ध गणेश
शास्त्री नगर के मूर्तिकार बबलू अहिरवार ने चार भुजा और सफेद रंग में गणपति की मूर्तियां बनाई हैं, जिन्हें काफी पसंद किया जा रहा है। उन्होंने अपने पिता से मूर्तिकारी सीखी है। ऑर्डर से पहले बनाई जाने वाली गणेश प्रतिमाओं में पुराण, डिजाइन और पैटर्न का विशेष ध्यान रखा जाता है।


योग गणपति
शीतला माता वार्ड में मूर्तियां बनाने वाले राजकुमार के अनुसार इस बार योग मुद्रा वाली गणपति प्रतिमाओं की मांग अधिक है। चार भुजा वाले भगवान श्री गणेश की योग मुद्रा वाली नीले रंग की प्रतिमा समितियों को पसंद आ
रही है।


तरुण गणेश
शीतलामाई वार्ड में ही मूर्ति बनाने आए रवि चक्रवर्ती ने बताया, उन्होंने बड़े पापा से मूर्ति बनाना सीखा है। दो साल से मूर्तियां बना रहे हैं। आठ भुजा और रक्त वर्ण के तरुण गणपति की मूर्ति की भव्यता अधिक होती है। बड़ी समितियां यह डिजाइन पसंद कर रही हैं।

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