नए भवन में होगा तैयार
वेटरनरी विश्वविद्यालय के आधारताल में बनी 5 करोड़ की लागात की बिल्डिंग के सेंटर हॉल में इसे बनाया जाएगा। यह म्यूजियम लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र होगा। इसमें विभिन्न विभागों के कामों के साथ आर्दश मॉडल को स्थापित किया जाएगा। इस योजना पर करीब 20 से 30 लाख का खर्च आने की संभावना है।
पशुपालन विकास की झांकी
इस अनोखे म्यूजियम में प्रदेश में पशुपालन विकास की एक झांकी भी होगी। इसमें यह दिखाया जाएगा कि पशुपालन के क्षेत्र में 50 साल के दौरान किस तरह से बदलाव आया है। क्रॉप फारमिंग की दिशा में किए गए कामों की झलक भी होगी। इसमे बकरी पालन, ब्रीड के मॉडल, गायों की नस्लें के साथ एनिमल हैल्थ केयर से जुड़े प्रोटो भी देखने को मिलेंगे।
पशुपालकों को सहायता
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय में कई तरह के काम संचालित होते हैं। इसमें वन्य प्राणियों से लेकर पशुओं से जुड़े काम शामिल हैं। पशु पालकों को तकनीकी सहायता प्रदान करना भी एक लक्ष्य है। इसके साथ ही अनुसंधान की दिशा में कार्यों को संचालित करना है।
इस तरह होगा मॉडल म्यूजियम
वन्य जीव
– वन्य जीवों के एम्ब्रीयो
– जीवों के स्केलेटन
– प्रदेश की वन्य प्रजातियां
अनुसंधान तकनीक
– प्रोस्टेथिक लैग मॉडल
– पंचगव्य तकनीक मॉडल
– ओवम पिकम तकनीक
खेती-पशुपालन
– फारमिंग क्राप मॉडल
– मल्टीटास्क इंकम मॉडल
– प्रदेश की स्पेशल ब्रीड
यह होगा फायदा
– देशभर से जमा होते हैं विशेषज्ञ
– विवि में होती है कई तरह की ट्रेनिंग
– इस तरह का मल्टी म्यूजियम कहीं नहीं
– छात्र, किसानों, पशुपालकों सभी को लाभ
तैयार हो रहा ब्लू प्रिंट
प्रदेश का पहला इस तरह का म्यूजियम विवि में तैयार किया जाएगा। कार्ययोजना को पूरा करने के लिए इस प्रोजेक्ट का ब्लूप्रिंट तैयार कराया जा रहा है। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा फंडिग की जाएगी।
डॉ. प्रयागदत्त जुयाल, कुलपति, वेटरनरी विवि