बकरियों के ब‘चों में शामिल
बताया गया है कि समाधि रोड स्थित बरबटी गांव निवासी रामलाल की पत्नी सुनीता अपनी बकरियों को चराने के लिए जंगल गई हुई थी। बकरियों को उसने जंगल में छोड़ दिया और लकडिय़ां आदि बीनने के काम में व्यस्त हो गई। इस बीच बार्र्किंग डियर का ब”ाा भी बकरियों के झुण्ड में शामिल हो गया। बकरियों के झुण्ड में कई नन्हे मेमने भी थे। बार्र्किंग डियर का रंग और कद भी इन्ही की तरह था और वह भी बकरियों के साथ चरने लगा। मेमनों के साथ उसने उछल कूद शुरू कर दी। बरबटी गांव निवासी की पत्नि सुनीता भी इसे समझ नहीं सकी। शाम को बकरियों के ब”ाों के झुण्ड के साथ वह भी घर आ गया।
पति को हुआ संदेह
रामलाल के अनुसार हिरण का ब‘चा देखने में बिल्कुल बकरियों के मेमनों की तरह है। लेकिन मेमनों के साथ आते ही बाड़े में उछल-कूद मचाते हुए वह कुलांचे भरने लगा। रामलाल ने पत्नी से पूछा लेकिन वह भी कुछ नहीं बता पाई। उसने कहा कि बकरियों के साथ में यह भी था। लेकिन रामलाल को संदेह हो गया कि यह बकरी का ब‘चा नहीं है। उसने इसकी सूचना वन विभाग को दी। वन विभाग की टीम पहुंची तो वातावरण रहवास बदलने के कारण हिरण का ब‘चा कुछ बदहवाश सा नजर आया। डिप्टी रेंजर जीएस परिहार एवं वन रक्षक राजेंद्र पटेल तुरंत इसे लेकर वेटरनरी अस्पताल पहुंचे जहां प्राथमिक उपचार कराया गया।
डॉक्टर ने पिलाया दूध पिलाया
वेटरनरी अस्पताल में डॉ.निधि राजपूत ने बार्किंग डियर का इलाज किया। थोड़ा कमजोर नजर आने के कारण उसे एंटी बॉयोटिक और दूध दिया। वहीं सुरक्षा के लिहाज से इंजेक्शन भी लगाया। डॉ. निधि ने बताया कि इसकी उम्र 8 माह के लगभग है। यह पूरी तरह स्वस्थ है। सबसे बड़ी बात है कि यह कुत्तों के हाथ नहीं लगा। इसे वन विभाग को वापस कर उसे उसके प्राकृतिक रहवास में छोडऩे के लिए कहा गया है।