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कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की नई तकनीक, पौधे होते हैं दो गुना लम्बे

locationजबलपुरPublished: Mar 21, 2020 08:30:08 pm

Submitted by:

reetesh pyasi

कृषि विश्वविद्यालय ने किया सफल प्रयोग

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जबलपुर। कृषि विश्वविद्यालय की ईजाद की गई बोरे में खेती की तकनीक को कई महीनों के धैर्य के बाद सफलता प्राप्त हुई है। इस तकनीक से लगाए गए पौधे लहलहाने के साथ उपज देने लगे हैं। वहीं पौधों में आसातीत वृद्धि भी देखने को मिली है। अरहर, लाख, मिर्च आदि के पौधे भी अपनी क्षमता से दोगुनी वृद्धि की है। विश्वविद्यालय द्वारा जूट में खेती की यह पद्धति की 5 से 6 माह पूर्व प्रायोगिक तौर पर शुरू की गई थी। अब यह पौधो΄ से उत्पादन भी शुरू हो गया है। मिर्च, टमाटर, अरहर के पौधों में दो गुनी वृद्धि दर्ज की गई है।
कई फसलों मे΄ कारगार
कृषि प्रक्षेत्र में इस मॉडल को तैयार किया गया है। इसके तहत करीब 18 से 20 फसलों को एक साथ तैयार किया जा सकता है। लाख एवं अरहर की सामान्य फसलों के साथ ही प्याज, हल्दी, अदरक, लहसुन, टमाटर, धनिया, मिर्ची, पालक खरबूज, पपीता गेंदा की फसल को उगाया जा सकता है। एक साथ दो से तीन फसलें ली जा सकती हैं।
इस तरह बढ़ी फसल
60 किलोग्राम मिट्टी से भरी बोरियों में ही पोषक तत्व, जवाहर जैव उवर्रक को मिलाकर इसे लगाया जाता है। इसके साथ ही इसमें गोबर खाद, केंचुआ खाद के साथ ट्रीटमेंट कर इसे लगाया जाता है। सामान्य पौधे से अरहर में 500 ग्राम पैदावार इस तकनीक से 2 किलोग्राम तक पैदावार हुई है। साथ ही 600 ग्राम लाख एवं 5 किलोग्राम जलाउ लकड़ी, मिर्च के पौधे में करीब 200 से 400 ग्राम मिर्च प्राप्त की जा सकती है।
40 हजार रुपए तक आय
बताया जाता है इस पद्धति से किसान चालीस हजार रुपए तक आमदानी प्राप्त कर सकता है। इसका फायदा यह है कि सीमित जगह में इसका उपयोग किया जा सकता है तो वहीं एक फसल साल भर तक किसी न किसी फसल से उत्पादन प्राप्त होता रहेगा। वैज्ञानिक मोनी थॉमस, डॉ. नीरज त्रिपाठी, सुमित काकड़े, अंकित आदि के इस मॉडल को सफलता मिली है।
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