आइए कुछ ऐसे ही नजरों से हम आपको रूबरू कर आते हैं। जो आपकी चिरस्मृतियों में शामिल हो जाएंगे।
unseen madhya pradesh jabalpur city in hindi
जबलपुर। प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल का देश का हृदय स्थल कहां जाने वाला जबलपुर अपने आप में बहुत कुछ ऐसा समेटे हुए हैं जो और कहीं देखने नहीं मिलता। चाहे यहां की सुंदर वादियां हो यह कल कल बहती नर्मदा या फिर इतिहास को संजोए हुए पत्थरों के किले। सारे नजारे अपने आप में बहुत कुछ कहते हैं। जिन्हें देखने वाले एक बार देखकर दोबारा देखने की इच्छा जरुर जाहिर करते हैं। आइए जबलपुर के कुछ ऐसे ही नजरों से हम आपको रूबरू कर आते हैं। जो आपकी चिरस्मृतियों में शामिल हो जाएंगे।
धुंआधार वॉटर फॉल पत्थरों से गिरती नर्मदा की धार और उससे उठता दुधिया धुआं देखने वालों की किसी भी मौसम में यहां कमी नहीं रहती। पानी की तेज धार जब पत्थरों पर गिरती है तो नजारा उबलते हुए दूध की तरह ही लगता है। पानी की छोटी-छोटी बूंदे आसपास खड़े लोगों को भीषण तपती हुई धूप में भी गर्मी का एहसास नहीं होने देती। यहां पानी की धार के बीच एक ऐसा पत्थर भी है जो लेटे हुए डायनासौर के समान प्रतीत होता है। यहां विदेशी बड़ी संख्या में हर साल आते हैं।
IMAGE CREDIT: unseen madhya pradesh jabalpur city in hindi मार्बल रॉक भेड़ाघाट में ही मार्बल के पहाड़ हैं। यहां सफेद खूबसरत मार्बल के पत्थर मिलते हैं, जिन पर सुंदर नक्काशी कर कारीगर अपना भरण-पोषण करते हैं। मार्बल के पत्थरों पर की जाने वाली नक्काशी देशी-विदेशी सभी टूरिस्टों को खूब भाती है। यह अपनी तरह का एक मात्र ऐसा स्थान है।
शिव की प्रतिमा की 76 फीट ऊंची प्रतिमा शहर के ज्यादातर ऊंचाई वाले हिस्सों में दिखाई देती है। बैठी हुई तप की मुद्रा भोलेनाथ के दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग आते हैं। अब तक शहर में ये सबसे लंबी प्रतिमाओं में सबसे बड़ी है। महाशिवरात्रि पर यहां भी भव्य मेला भरा जाता है।
मदन-महल किला रानी दुर्गावती का किला एक पत्थर की ढाल लिए हुए है। इसे दुर्गावती की छावनी भी कहा जाता था। यहां दुर्गावती के घोड़े के टापो के निशान अब तक बने कहा जाता है कि रानी महल से अपने घोड़े के साथ नीचे छलांग लगातीं थीं, जिससे ये निशान पड़े हैं। रानी ये प्रतिदिन अभ्यास के दौरान करती थीं।
IMAGE CREDIT: unseen madhya pradesh jabalpur city in hindi बैलेंसिंग रॉक मदल-महल में ही स्थित है बैलेंसिंग रॉक, एक पत्थर पर टिका हुआ दूसरा भारी पत्थर। जबलपुर में 1997 में आए भीषण भूकंप के दौरान जब यहां की ऊंची इमारतें भी जमींदोज हो गईं थीं तब भी ये पत्थर अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिला।
IMAGE CREDIT: unseen madhya pradesh jabalpur city in hindi गुरूद्वारा साहेब ग्वारीघाट ग्वारीघाट में नर्मदा नदी को पार कर दूसरी ओर जाने पर गुरूद्वारे के दर्शन होते हैं। सुंदर स्थान पर बना होने की वजह से यहां भी नांव के जरिए नर्मदा को पार कर जाते हैं। यहां सर्वधर्म संभाव की छबि देखने मिलती है। यहां अंदर एक सुंदर म्युजियम भी है। यहाँ गुरुनानक देव जी चरण पड़े थे।
जैन मंदिर हनुमानताल हनुमानताल स्थित बड़ा जैन मंदिर जबलपुर का ऐतिहासिक मंदिर है। वहीं पिसनहारी की मढिय़ा भी जैन मंदिर में एक प्रसिद्ध स्थान है। दोनों ही दर्शनिय स्थल हैं और हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। हनुमानताल के तट से इसका नजारा और भी आकर्षक लगता है।
डुमना नेचर पार्क डुमना नेचर पार्क में हिरण, बंदर, चीतल सहित कई तरह के जीव-जंतु व पक्षी देखने मिलते हैं। टॉय टे्रन और बोटिंग के साथ ही ये फिशिंग प्लेटफॉर्म भी है। पिकनिक स्पॉट होने की वजह से छुट्टियों में यहां खासी भीड़ देखने मिलती है। ये शहर से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बरगी डेम-नर्मदा के 30 बड़े बांधों में से एक है बरगी डेम। यहां वॉटर स्पोटर्स एक्टीविटीज हर साल आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा घूमने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। गेट खुलने के दौरान यहां सबसे ज्यादा भीड़ देखने मिलती है।