6 सितंबर तक असर
ज्योतिषाचार्य पं. जनार्दन शुक्ला के अनुसार शनि देव दंडाधिकारी व कोषाध्यक्ष हैं। धर्म के साथ पुण्य कर्म करने वालों पर उनकी दृष्टि अच्छी रहती है। जबकि, पाप कर्म करने वालों को वे दंडित करते हैं। शनि देव 18 अप्रैल को सुबह 7.20 बजे धनु राशि में वक्री होंगे और 142 दिन बाद छह सितम्बर शाम 4.40 बजे के बाद ही मार्गी होंगे। भारत वर्ष की जन्म कुंडली के आधार पर नवम भाव में शनि की पूर्ण द़ृष्टि है। इससे धन समस्याओं में बढ़ोत्तरी, रोजगार की कमी, वाद विवाद, जनता में असंतोष और देश की सीमा पर विवाद की स्थिति बनी रहेगी। इसके बावजूद हर तरफ धर्म का वातावरण रहेगा।
क्या है वक्री शनि
ज्योतिषाचार्य पं. रामसंकोची गौतम के अनुसार वक्री ग्रहों को ज्योतिष में उनकी शक्त अवस्था में माना जाता है। इस स्थिति में ग्रहों का विपरीत असर और अधिक प्रभावशाली हो जाता है। कार्य में रुकावटें और बाधाएं आती हैं।ज्योतिषाचार्य पं. शुक्ला के अनुसार कोई भी ग्रह जब अपनी पूरी चाल में रहता है तो उसे मार्गी कहा जाता है। जब ग्रह की चाल धीमी पड़ जाती है, तो उसे वक्री माना जाता है। जिस तरह पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 365 दिन में तय करती है। इसी तरह शनि ग्रह को परिक्रमा में 29 वर्ष का समय लगता है। जब शनि के तेज की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती है तो वे मार्गी होते हैं और वक्री शनि होने पर किरणें तिरछी होती हैं। शनि के वक्री होने का राशियों पर अलग-अलग असर पड़ेगा।
राशियों पर प्रभाव
शुभ- वृष, मिथुन, कन्या, तुला, कुम्भ व मकर
अशुभ- सिंह, कर्क, मेष व वृश्चिक
मिला जुला असर- धनु और मीन
ये उपाय दिलाते हैं रात
यदि आपकी कुंडली में शनि उचित स्थान या भाव पर नहीं है और वक्री होने की स्थिति में इसके दुष्प्रभाव संभावित हैं तो निम्न उपाय अपनाकर इन्हें कम या पूरी तरह शांत किया जा सकता है –
– शनि की शांति के लिए भगवान शिव का अभिषेक करें।
– रामभक्त हनुमानजी की उपासना करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
– गरीबों की सेवा करें। जनहित के कार्यां में भाग लेने के साथ जरूरतमंदों की मदद करें।
– प्रत्येक शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
– हर शनिवार उड़द व काली तिली से मिश्रित जल पश्चिमाभिमुख होकर पीपल का अर्पित करें।
– प्रत्येक शनिवार दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें या शनि नील स्तोत्र का पाठ करें।
– ओम प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: या ओम शं शनैश्चराय नम:” मंत्रों का प्रतिदिन एक माला जाप करें। इससे लाभ अवश्य होता है।