रक्षा मंत्रालय ने फैक्ट्री के दोनों प्रमुख वाहन स्टालियन और एलपीटीए को नॉन कोर ग्रुप में शामिल किया है। माइन प्रोटेक्टिड वीकल (एमपीवी), वाटर बाउजर और यूटीडी इंजन की ओवरहालिंग के काम को इससे अछूता रखा गया। बताया जाता है कि फैक्ट्री के पास इस मार्च तक के लिए 2 हजार 90 से अधिक स्टालियन और 700 से अधिक एलपीटीए सैन्य वाहन का काम है। अभी करीब 14 सौ स्टालियन और 320 से ज्यादा एलपीटीए वाहन तैयार किए जा चुके हैंं। बकाया काम भी जल्द पूरा हो जाएगा। ऐसे में कर्मचारी आगे के काम के लिए चिंतित हो रहे हैं।
इनकी है संभावना
सारंग तोप- जीसीएफ में सारंग तोप को अपग्रेड करने का काम होना है। इसके तहत वीएफजे में इस तोप की ओवरहालिंग का काम हो सकता है। लेकिन अभी इस प्रोजेक्ट के लिए संसाधन जुटाने पड़ेेंगे।
धनुष के कलपुर्जे- एक काम धनुष तोप के कलपुर्जे तैयार करने का है। इसमें कुछ विशेष प्रकार के गियर बॉक्स शामिल है। फैक्ट्री के पास गियर शॉप है। इसमें पहले और अभी भी यह काम होता है।
बुलेट प्रूफिंग- फैक्ट्री में सेना एवं पुलिस के वाहनों की बुलेट पू्रफिंग का काम बढ़ाया जा सकता है। पहले भी जिप्सी, 407 और एलपीटीए वाहन को बुलेटपू्रफ किया जा चुका है।
इनका कहना है
फैक्ट्री के कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करना प्रबंधन जिम्मेदारी है। काम के विषय को जबलपुर प्रवास पर आयुध निर्माणी बोर्ड के सदस्य के सामने उठाया जाएगा।
वीके दुबे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एआईएनजीओ
नया काम लाने की बात तो प्रबंधन की तरफ से की जाती है लेकिन यह कम शुरू होगा यह तय नहीं है। इसलिए कर्मचारी काम को लेकर चिंतित हैं।
अम्बरीश सिंह, अध्यक्ष मजदूर यूनियन
स्टालियन और एलपीटीए का काम मार्च में पूरा हो जाएगा। यह हमारे मुख्य उत्पाद हैं। नया इंडेंट नहीं मिल रहा है। ऐसे में चिंता की बात तो है।
कमल चौहान, अध्यक्ष प्रतिरक्षा मजदूर संघ
फैक्ट्री में काम की कमी नहीं होगी।। सारंग गन को अपग्रेड किया जा रहा है। इस काम को जीसीएफ और वीएफजे मिलकर करेंगे। 40 फीसदी काम वीएफजे को मिलेगा। इसी प्रकार एमवीपी का भी पर्याप्त वर्कलोड है। इसका उत्पादन भी तेज किया जाएगा।
एके राय, जनसंपर्क अधिकारी, वीएफजे