अपग्रेडेशन के तहत रूस निर्मित इस गन में 130 एमएम की जगह 155 एमएम की बैरल लगाई जाएगी। इससे मारक क्षमता 27 किलोमीटर से लगभग 36 किलोमीटर हो जाएगी। तोप को शारंग नाम भी दिया गया है। तोप का मुख्य काम आयुध निर्माणी कानपुर और गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) को करना है। लेकिन वीएफजे में काम की कमी को दूर करने कुछ काम दिया जा रहा है। इसमें ओवरहालिंग प्रमुख है। अपग्रेडेशन में ओवरहालिंग जरुरी होती है। इसी दौरान पाट्र्स बदलने का काम किया जाएगा।
कर्मचारी ले रहे प्रशिक्षण वीएफजे के 50 से 60 कर्मचारी तोप के काम को सीख रहे हैं। बीते करीब एक साल से यहां के कर्मचारी जीसीएफ जा रहे हैं। इसी आधार पर वीएफजे में प्रबंधन के माध्यम से एक सेक्शन का निर्माण भी किया जा रहाहै। इसे गन सेक्शन नाम दिया गया है। इस सेक्शन में उन मशीनों को स्थापित किया जाएगा जिनके जरिए ओवरहालिंग का काम होना है। दूसरे सेक्शन से इन्हें गन सेक्शन में भेजा जा रहा है।
यूटीडी इंजन की ओवरहालिंग
वीकल फैक्ट्री सैन्य वाहनों के उत्पादन के साथ ही ज्ञात हो कि अभी भी फैक्ट्री में जहाजों में लगने वाले भारी यूटीडी इंजन की ओवरहालिंग का काम किया जाता है। इनकी टेस्टिंग के लिए भी सुविधाएं कुछ सालों पहले विकसित की गई हैं। नए प्रोजेक्ट में गन की ओवर हालिंग के बाद इन हाउस प्रोडक्शन के तहत गियर बॉक्स भी बनाए जा सकते हैं। यह इसलिए क्योंकि फैक्ट्री में अलग-अलग प्रकार के गियर बॉक्स बनाने की आधुनिक सुविधाएं हैं।
वीकल फैक्ट्री सैन्य वाहनों के उत्पादन के साथ ही ज्ञात हो कि अभी भी फैक्ट्री में जहाजों में लगने वाले भारी यूटीडी इंजन की ओवरहालिंग का काम किया जाता है। इनकी टेस्टिंग के लिए भी सुविधाएं कुछ सालों पहले विकसित की गई हैं। नए प्रोजेक्ट में गन की ओवर हालिंग के बाद इन हाउस प्रोडक्शन के तहत गियर बॉक्स भी बनाए जा सकते हैं। यह इसलिए क्योंकि फैक्ट्री में अलग-अलग प्रकार के गियर बॉक्स बनाने की आधुनिक सुविधाएं हैं।