दो साल बाद भी काम अधूरा
जानकारी के अनुसार मेडिकल यूनिवर्सिटी ने फरवरी, 2016 में रिको एजेंसी से ऑटोमशन का अनुबंध किया। इसके लिए एक साल की समय सीमा तय की गई थी। समय सीमा दो वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी एजेंसी परीक्षा परिणाम से सम्बन्धित साफ्टवेयर नहीं बना पाई। इससे यूनिवर्सिटी द्वारा मेनुअल परिणाम जारी किए गए। इनमें देरी भी हुई। इस मामले में यूनिवर्सिटी की टेक्निकल कमेटी व कार्य परिषद ने कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। कार्य में सुधार नहीं होने व गड़बडिय़ों शुक्रवार को एजेंसी को टर्मिनेट कर दिया।
ये गड़बड़ी सामने आई
जो छात्र नहीं थे, उनका भी जारी हो गए प्रवेश पत्र
साफ्टवेयर में ट्रांसफर पोर्टल एक्टीवेट कर दिया
एमबीबीएस, व आयुष छात्रों ने स्वयं कॉलेज बदल लिया
पोर्टल पर आयुष परीक्षा शुल्क 4 सौ रुपए ज्यादा दिखाया
कॉलेजों द्वारा उपस्थिति रिपोर्ट में भी हेराफेरी की गई
नर्सिंग-पैरामेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा सम्बन्धी गलत जानकारी
यूनिवर्सिटी की हेल्प लाइन में कॉल रिकार्ड नहीं किया गया
मेडिकल की जगह नर्सिंग कॉलेज
एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश पत्र जारी करने में चूक उजागर होने के बाद गड़बड़ी का एक और मामला भी शुक्रवार को सामने आया। इसमें मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की लापरवाही के कारण गुरुवार को बीएएसएलपी की परीक्षा टालने की नौबत आ गई। प्रवेश पत्र पर परीक्षा केन्द्र का नाम गलत प्रिंट होने के कारण छात्र-छात्राएं वहां नहीं पहुंचे, जहां परीक्षा कराने की तैयारी थी। बाद में एक घंटे देर से परीक्षा सम्पन्न कराई गई। बैचलर ऑफ ऑडियोलॉजी एंड स्पीच पैथोलॉजी की परीक्षाएं शुरू कराई। यूनिवर्सिटी ने मेडिकल कॉलेज में परीक्षा कराने की तैयारी की थी जबकि, प्रवेश पत्र पर रानी दुर्गावती नर्सिंग कॉलेज दर्ज हो गया। परीक्षा के समय सुबह १० बजे छात्र-छात्राएं पहुंच गए।