पसंद आई थी शहर की आबोहवा
वाडली ब्रदर्स की जुगलबंदी ५ अक्टूबर को भेड़ाघाट में आयोजित नर्मदा महोत्सव के दौरान सुनाई दे चुकी है। इसमें प्यारेलाल वडाली ने अपने भाई पूरनचंद्र वडाली के साथ कई सुरीले गीत गाए थे। शहर आकर उन्होंने काफी खुशी भी व्यक्त की थी, क्योंकि पुण्यसलिला के किनारे सुरों का एेसी प्रस्तुति उन्होंने कभी नहीं दी थी। इसके साथ ही उन्हें यहां की आबोहवा भी बेहद रास आई थी।
अमृतसर में ली आखिरी सांस
उस्ताद पुरन चंद वडाली के भाई उस्ताद प्यारेलाल वडाली ने अमृतसर के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। बीमार होने के बवजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को उनके पैतृक गांव गुरु की वडाली में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
छोटे से गांव से दुनिया में बनाई पहचान
अमृतसर के पास एक छोटे से गांव के रहने वाले वडाली ब्रदर्स दुनियाभर में अपनी गायकी के लिए काफी मशहूर थे. दोनों जालंधर के हरबल्ला मंदिर में परफॉर्म करना शुरू किया था। पंजाबी सूफी गायिकी के भाईयों की इस जोड़ी ने सूफियाना, गज़ल और भजन जैसी कई तरह की गायकी करते थे। महशूर पटियाला घराने से भी दोनों भाईयों का ताल्लुक रहा है।
वडाली ब्रदर्स के 10 महशूर गानें
– तू माने या ना माने दिलदारा…
– रंग रेज मेरे…, फिल्म: तनु वेड्स मनु
– दमादम मस्त कलंदर…
– एक तू ही तू ही… फिल्म: मौसम
– सोहने यार…
– याद पिया की आये…
– अल्फे अल्ला…
– बुलेया की जाना मैं कौन…
– नी साईयों असी नैना…
– वारिस साह नू… फिल्म: पिंजर