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बाजार में बढ़ी सिंघाड़े की आवक, बना रहे अचार, लड्डू और पापड़

locationजबलपुरPublished: Nov 28, 2022 06:40:28 pm

Submitted by:

Sanjay Umrey

बाजार में बढ़ी सिंघाड़े की आवक, बना रहे अचार, लड्डू और पापड़प्रोसेसिंग यूनिट की दरकार : जबलपुर में दो हजार से ज्यादा किसान कर रहे खेती

बाजार में बढ़ी सिंघाड़े की आवक, बना रहे अचार, लड्डू और पापड़ प्रोसेसिंग यूनिट की दरकार

बाजार में बढ़ी सिंघाड़े की आवक, बना रहे अचार, लड्डू और पापड़प्रोसेसिंग यूनिट की दरकार : जबलपुर में दो हजार से ज्यादा किसान कर रहे खेती

जबलपुर। बाजार में ङ्क्षसघाड़े की आवक बढ़ गई है। अधिकांश लोग घरों में ङ्क्षसघाड़ा उबालकर खाते हैं। कुछ लोग इसकी सब्जी और हलवा भी बनाते हैं। लेकिन, पनागर स्थित बम्हनौदा का स्वसहायता समूह ङ्क्षसघाड़े से स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करने के अभिनव प्रयोग कर रहा है। समूह के सदस्य पहले ङ्क्षसघाड़े का अचार बनाते थे। अब लड्डू, नमकीन और पापड़ भी बना रहे हैं।
कई राज्यों में मांग
जबलपुर समेत समूचा महाकोशल और बुंदेलखंड क्षेत्र सिंघाड़ा का बड़ा उत्पादक है। यहां से सिहोरा मंडी में बड़े स्तर पर ङ्क्षसघाड़े की आवक होती है। जबलपुर जिले में दो हजार एकड़ से ज्यादा रकबा में ङ्क्षसघाड़े की खेती होती है। इससे दो हजार किसान जुड़े हैं। अभी तक ज्यादातर कच्चा ङ्क्षसघाड़ा गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में भेजा जाता है। इससे किसानों को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता है। इसका कारण स्थानीय स्तर पर ङ्क्षसघाड़ा की प्रोसेङ्क्षसग नहीं होना है। अब कुछ लोग छोटे स्तर पर ङ्क्षसघाड़ा के लजीज व्यंजन तैयार करने के अभिनव प्रयोग कर रहे हैं।
जबलपुर समेत समूचे महाकोशल और बुंदेलखंड अंचल में वृहद स्तर पर उत्पादन होता है। लेकिन, यहां प्रोसेङ्क्षसग यूनिट नहीं होने के कारण कच्चा ङ्क्षसघाड़ा ही दूसरे राज्यों को भेजा जाता है। बम्हनौदा का स्व सहायता समूह ङ्क्षसघाड़ा से अचार, लड्डू, सेव, पापड़ जैसे उत्पाद तैयार कर रहा है। इस दिशा में स्थानीय स्तर पर और अभिनव प्रयोग शुरू हों तो ङ्क्षसघाड़ा उत्पादक किसानों को ज्यादा लाभ होगा।
एसके मिश्रा, उद्यानिकी विशेषज्ञ

‘कृति’ में विविध रंगों का समावेश
प्रसंग अंतरराष्ट्रीय साहित्य मंच के तत्वावधान में संस्कृति लडिय़ा की काव्य कृति सपना सा है का का लोकार्पण प्रो. एचबी पालन, विमल कांत येंडे, प्रतुल श्रीवास्तव, डॉ. प्रतिभा पटेल ने किया। अर्चना गोस्वामी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम में वक्ताओं ने रचनाकार की कृति में विविध रंगों का समावेश होने की बात कहीं। इस मौके पर डॉ. शशि लढिया, मुख्य अतिथि अभय तिवारी, अध्यक्षता इरफान झांसवी, विशिष्ट अतिथि मनोहर चौबे, मीना भट्ट, डॉ. अंबर प्रियदर्शी, उदयभानु तिवारी मौजूद थे। संचालन इंजी. विनोद नयन एवं दीपक तिवारी ने किया।
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