जबलपुर

यहां 20 लाख रुपए से बनी जल परीक्षण प्रयोग शाला बनी शोपीस

तकनीशियन कार्य से रहते हैं नदारद : पीएचई के अधिकारियों का नहीं ध्यान

जबलपुरDec 06, 2019 / 07:17 pm

sudarshan ahirwa

water test lab become showpiece,water test lab become showpiece

जबलपुर. खितौला के पहरेवा स्थित बीस लाख रुपए की लागत से बनी जल परीक्षण प्रयोग शाला का दो साल बाद भी ताला नहीं खुल सका है। जल की गुणवत्ता जांच के लिए पदस्थ कैमिस्ट और सहायक के कार्य से नदारत रहने के कारण प्रयोग शाला शोपीस बनकर रह गई है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग उपखंड सिहोरा ने पेयजल स्रोत नल-जल, हैडपम्प से निकले जल की गुणवत्ता जांचने और उसे पीने योग्य घोषित करने के लिए पहरेवा स्थित जल परीक्षण प्रयोग शाला का निर्माण कराया था, ताकि सिहोरा-मझौली तहसील के तीन सौ ग्रामों के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सके।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की जबलपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में बनी सबसे बड़ी एकमात्र जल परीक्षण प्रयोग शाला की बड़ी उपयोगिता थी। ग्रामीण क्षेत्र में पीने के पानी से होनी वाली बीमारियों जैसे उल्टी-दस्त, आंत्रशोध के मामले में जल परीक्षण में उपयोग होना था। प्रयोग शाला खुलने का मकसद सिहोरा-मझौली तहसील में ग्रामीण क्षेत्र के हैंडपम्प में आयरन और फलोराइटयुक्त पानी की जांच होना था, ताकि गुणवत्ता जांची जा सके। सिहोरा नगर के 18 वार्डों और मझौली नगर के सभी जल संसाधनों के पानी का परीक्षण इसी प्रयोगशाला में होना था।

प्रयोगशाला में जल परीक्षण के सारे आधुनिक संसाधन हैं, लेकिन जल परीक्षण का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इसका कारण है कैमिस्ट और तकनीकी सहायक का गायब रहना है, जिसके कारण प्रयोगशाला का ताला तक नहीं खुलता, वहीं विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी कोई ध्यान नहीं देते।

खास-खास
-प्रयोग शाला में हर माह 300 नमूनों के परीक्षण का है लक्ष्य
-सिहोरा तहसील की 60, मझौली की 84 ग्राम पंचायतों से पानी जांच के लेने हैं नमूने
-हैंडपम्पों में आयरन, क्लोराइड, फ्लोराइड, पीएच स्तर की करनी होती है जांच
-पानी में अम्लीयता और क्षारीयता सहित बैक्टीरिया की जांच का है जिम्मा।

जल परीक्षण प्रयोग शाला में कैमिस्ट और सहायक क्यों नहीं पहुंचते, इसकी जानकारी ली जाएगी। प्रयोग शाला का लाभ आम लोगों को मिले इसके लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
शीतल वर्मा, एसडीओ, पीएचई, उप संभाग, सिहोरा

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