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इन्हें भेजते हैं विवाह का पहला निमंत्रण, यहां सदियों से है ये परंपरा

locationजबलपुरPublished: Apr 12, 2016 11:59:00 am

Submitted by:

Abha Sen

शादी के कार्ड (पत्रिका) भी छपने के बाद सबसे पहले इन्हीं के चरणों में समर्पित किए जाते हैं।

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जबलपुर। विवाह के शुभमुहूर्त एक बार फिर शुरू होने वाले हैं। हिंदू रिति-रिवाज और परंपराओं के अनुसार शादी का निमंत्रण सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश को दिया जाता है। शादी के कार्ड (पत्रिका) भी छपने के बाद सबसे पहले इन्हीं के चरणों में समर्पित किए जाते हैं, ताकि विवाह निर्विघ्न संपन्न हो और सबकुछ शुभ हो।

विद्वानों के अनुसार शादी का न्यौता भगवान गणेश को देकर उन्हें पूरे परिवार सहित विवाह में आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। प्रथम आमंत्रण की ये प्रथा सदियों पुरानी बताई जाती है। कुछ परिवारों में इस आमंत्रण की विधि-विधान से पूजा भी की जाती है। आप भी इस विधि को अपनाकर कार्यों में शुभता ला सकते हैं। पूजन में सात प्रकार की वस्तुएं जौ, मूंग, हल्दी की गांठ, नाड़ा, चांदी की घूघरी, कोयला, दो सूपड़े, दो मूसल और औढऩा रखे जाते हैं।

गणपति निमंत्रण
महिलाएं गणपति के गीत गाती हैं। इसके बाद विवाह के अन्य गीत शुरू किए जाते हैं। गणपति निमंत्रण में इस्तेमाल की जानी वाली प्रमुख वस्तुएं हैं- पत्रिका, कंकु, चावल, हल्दी, अबीर, गुलाल, सिंदूर, मीठा तेल, बरक, छोटी सुपारी, हार-फूल, पान, नारियल, नाड़ा, मोतीचूर के लड्डू, अगरबत्ती, कपूर और जल का कलश।

विदाई
विवाह का कार्य निर्विघ्न संपन्न होने के बाद गणेशजी की विदाई का कार्यक्रम होता है। सामान्यत: विवाह के बाद आने वाले बुधवार को ही यह छोटा-सा कार्यक्रम पारिवारिक रिश्तेदारों के बीच होता है। पूजन में सभी कार्यों की शुभता के लिए विवाह पत्रिका में गणेश जी का चित्र अनिवार्य रूप से बना होता है।
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