जबलपुर

ग्रेडिंग में खरे नहीं उतर पा रहे नामी कॉलेज

कई कॉलेजों की स्थिति नहीं ठीक, होमसाइंस कॉलेज की गिरी गुणवत्ता, लीड कॉलेज भी नहीं बढ़ा पाया अपना ग्रेड, यहां छोटे कॉलेज कहीं आगे, कुण्डम कॉलेज भी बी ग्रेड में तो महाकोशल का लीड कॉलेज भी बी ग्रेड में

जबलपुरSep 20, 2019 / 11:58 pm

Mayank Kumar Sahu

well-known colleges are unable to meet the grading


फैक्ट फाइल
-ग्रेड ए प्लस- 01
-गे्रड ए-01
-ग्रेड बी-05
-ग्रेड बी प्लस-01
-ग्रेड बी प्लस प्लस-01
-ग्रेड डी-01

यह है स्थिति

-12 सरकारी कॉलेज
-10 ने मूल्यांकन कराया
-02 क्राइटेरिया से बाहर
-04 की अभी अवधि शेष

यह सामने आई प्रमुख बातें

-कॉलेजों में रेगुलर स्टॉफ नहीं
-कॉलेजों में सफाई व्यवस्था का अभाव
-शिक्षण कार्य के लिए पर्याप्त कमरे न होना
-पेयजल, शौचालय स्वच्छ न होना
-ग्रीन कैम्पस की कमी
-स्टूडेंट एवं एल्यूमिनाई का अंसतोष फीडबैक
-परीक्षा परिणाम औसत होना
-रिसर्च सुविधाओं की कमी
-बेहतर ढंग से प्रजेंट न कर पाना

मयंक साहू @जबलपुर.
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी कॉलेजों में गुणवत्ता सुधार को लेकर लंबी कवायद की जा रही है लेकिन इस कवायद में कॉलेज खरा नहीं उतर पा रहे हैं। हाल ही में नैक द्वारा जारी की गई ग्रेडिंग में सरकारी कॉलेज खास प्रदर्शन नहीं कर सके हैं। कुछ कॉलेज ऐसे हैं जो अपना ग्रेड ही बरकरार नहीं रख सके तो कुछ बड़ी मुश्किल में इस बचा पाए। जिले में एक भी शासकीय कॉलेज फिलहाल ए प्लस में शामिल नहीं है। ऐसे में शिक्षण व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

ए प्लस की उम्मीद ए का संतोष
जिले में एकमात्र साइंस कॉलेज है जो कि ए ग्रेड में शामिल है। 2014-15 में साइंस कॉलेज को नैक द्वारा ग्रेड दिया गया था। इस बार कॉलेज ए प्लस के लिए प्रयास कर रहा था लेकिन हाल ही में जारी किए गए परिणाम में कॉलेज को पुराने ग्रेड पर स्थिर रहा।

यहां हुआ बेहद खराब प्रदर्शन
शासकीय होमसाइंस कॉलेज का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। कॉलेज पहले ए ग्रेड में शामिल था लेकिन इस बार इसका ग्रेड गिरकर बी हो गया। लड़कियों की पढ़ाई के मामले में अव्वल माने जाने वाले इस कॉलेज का ग्रेड गिरने की वजह शिक्षकों के बीच सामांजस्य न होना, नियमित शिक्षकों की कमी, कॉलेज गतिविधियों को बेहतर तरीके से प्रजेंट न कर पाना रहा है। वहीं छात्राओं द्वारा दिए गए फीड बैक भी आधार बना।

बड़ी मुश्किल में बचा पाए ग्रेड
जिले का लीड कॉलेज शासकीय महाकोशल कॉलेज अपना बी ग्रेड बड़ी मुश्किल से बचाने में सफल हो पाया। आधी अधूरी तैयारियों के बीच हालात यह थी कि ग्रेड गिरने का डर बना था। न तो एल्यूमिनाई का गठन हो पाया न ही शिक्षण व्यवस्थाएं एवं भौतिक सुविधाओं का खाका तैयार हो सका। अंतिम समय में यह कवायद की गई। हालात ग्रेड गिरने के बने थे लेकिन कॉलेज बी ग्रेड संभालकर रखने में सफल रहा।

डी ग्रेड में पाटन कॉलेज
शहर के शासकीय कॉलेज पाटन डी ग्रेड में शामिल है। कॉलेज बिल्डिंग की खराब स्थिति, खेल का अविकसित मैदान, रेगुलर स्टाफ न होने आदि कारणों के चलते कॉलेज सबसे निचले पायदान पर है। जबकि शासकीय कन्या कॉलेज रांझी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए बी प्लस केटगरी में है। वहीं शासकीय कुण्डम कॉलेज भी बी ग्रेड रैकिंग में है। जबकि बड़े कॉलेजों में मानकुवंरबाई कॉले ए प्लस, साइंस कॉलेज ए ग्रेड, महाकोशल कॉलेज, होमसाइंस कॉलेज, पनागर कॉलेज बी ग्रेड में है। वहीं सिहोरा कॉलेज बी प्लस टू ग्रेड है।

कुछ कॉलेज दायरे में नहीं आए
हालांकि अभी कुछ कॉलेज नैक कराने की स्थिति में नहीं हैं। क्योंकि उनके पास खुद का उम्दा इंफ्रास्टक्चर क न होना है। ऐसे शासकीय कॉलेज बरेला, शासकीय कॉलेज मझौली शामिल है तो वहीं शासकीय मानकुंवरबाई महिला महाविद्यालय, शासकीय श्याम सुंदर कॉलेज सिहोरा आदि का अभी नैक के लिए डेट फिक्स नहीं हुई है।

-हमने ए प्लस ग्रेड के लिए तैयारी की थी। लेकिन ए ग्रेड मिला है। जो कमियां हैं उन्हें हम दूर करने का प्रयास करेंगे ताकि आने वाले समय में सबसे पुराने कॉलेज को ए ग्रेड पर ले जाया जा सके।
-डॉ.एएल महोबिया, प्राचार्य साइंस कॉलेज
…..
-हमारी ग्रेडिंग बढऩे की अपेक्षा गिर गई है। जो कमियां हैं अब हम उन्हें दूर करने की दिशा में और बेहतर तरीके से काम करेंगे।
-डॉ.लीला भलावी, प्राचार्य होमसाइंस कॉलेज
……
-कॉलजों में नौकरशाही का हस्ताक्षेप कम किया जाना चाहिए। शिक्षकों को पूरे समय उपस्थित होने के साथ ही टीचिंग पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। हम व्यवस्थाएं दुरस्त कर रहे हैं ताकि नैक में खरे उतर सकें।
-डॉ.सुनील श्रीवास्तव, प्राचार्य शासकीय कॉलेज बरेला

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