ये है मामला
पुलिस अधीक्षक स्टेट साइबर सेल अंकित शुक्ला ने बताया, मदनमहल निवासी पीडि़त ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके पास एक कॉल आया था। कॉल करने वाले ने स्वयं को रिजर्व बैंक का अधिकारी बताकर उसके पुराने मैग्नेटिक स्ट्रिप वाला एटीएम कार्ड बंद होने और नया चिप बेस्ड एटीएम कार्ड जारी करने का झांसा देकर ओटीपी नम्बर पूछा और खाते से 32 हजार रुपए निकाल लिए।
निकाली गई रकम को फ्रीज करा दिया
स्टेट साइबर सेल ने धारा 419, 420, 66 डी आइटी के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की। पीडि़त के खाते से निकाली गई रकम को फ्रीज करा दिया। बैंक और सर्विस प्रोवाइडर से प्रकरण में किए गए फ्रॉड और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की जानकारी ली। बताया गया, रकम पश्चिम बंगाल के बाराबानी थानांतर्गत चरणपुर गांव के कैलाश बाउरी के खाते में ट्रांसफर की गई है। वह गिरोह के गुर्गों के साथ मिलकर लोगों से धोखाधड़ी कर रहा था।
खाताधारक को 15-20 प्रतिशत कमीशन
एसपी ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए निरीक्षक विपिन ताम्रकार, उप निरीक्षक पंकज साहू, आरक्षक आलोक चौबे, अमित गुप्ता की टीम को वर्धमान भेजा। टीम ने वहां से कैलाश बाउरी को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने बताया, उसका गिरोह विभिन्न राज्यों में फैला है। गिरोह के गुर्गे लोगों को लालच देकर उनके एटीएम कार्ड की जानकारी लेते हैं, जबकि अन्य गुर्गे फर्जी आइडी से नए सिम कार्ड लेकर बताए गए बैंक खातों में रकम ट्रांसफर कर लेते हैं। इसके एवज में बैंक की ओर से खाताधारक को 15-20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। आरोपी एटीएम के जरिए देश के किसी भी हिस्से से रकम निकाल लेते थे।
ऐसे करते थे ठगी
– रिजर्व बैंक का अधिकारी बनकर फोन करते हैं। पुराने मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले एटीएम कार्ड के बंद होने और नया चिप बेस्ड एटीएम कार्ड जारी करने का झांसा देकर।
– लोगों से ओटीपी पूछकर बैंक खाते से एसबीआइ वॉलेट में रुपए डालकर विभिन्न खातों से कैश निकालते हैं।
– गिरोह के गुर्गे आम लोगों को बातों में उलझाकर बैंक खाते और उनके नाम से सिम प्राप्त कर ठगी करते हैं।