जीरो कार्बन टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग के कारण भारतीय रेलवे पुरस्कार की दौड़ में
इंटरनेशनल रेलवे अवार्ड में पमरे की एंट्री बीना सोलर प्लांट की ख्याति पेरिस पहुंची
1.7 मेगावॉट है पावर प्लांट की क्षमता
5800 सोलर मॉड्यूल है इस प्लांट में
400 वोल्ट अल्टरनेटिव करेंट (एसी)
पर्यावरण संरक्षण को लेकर दुनिया में सौर ऊर्जा के उपयोग को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। पमरे ने बीना में सोलर प्लांट लगाकर उससे बनी बिजली से ट्रेनें दौड़ाना शुरू किया है। इस पहल पर अलग-अलग देशों की रेलवे से सम्बंधित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था पेरिस स्थित यूनियन ऑफ रेलवे (यूआइसी) ने वर्ष 2022 के सस्टेनेबल रेलवे अवॉड्र्स के लिए शॉर्ट लिस्ट किया है। जूरी यदि पमरे की योजना को पुरस्कार के लिए चुनती है तो यह पमरे के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार होगा।

यूआइसी इंटरनेशनल रेलवे के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करती है। इसके अंतर्गत तीन वर्गों पीपुल, प्लेनेट और प्रोस्पेरिटी कैटेगिरी में तीन-तीन पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। भारतीय रेलवे को प्लेटनेट (इनवायरमेंटल) वर्ग की बेस्ट यूज ऑफ जीरो कार्बन टेक्नोलॉजी (बीना में सौर ऊजा से 25 एसी ट्रैक्शन सिस्टम को सीधे फीड करने वाले विद्युतीकरण योजना) के लिए पुरस्कार की दौड़ में शामिल किया गया है।
2160 टन कार्बन में कमी, करोड़ों की बचत- रेलवे ने बीना स्टेशन के पास खाली अनुपयोगी जमीन पर बड़ा सोलर प्लांट स्थापित किया है। इस प्लांट में तैयार बिजली से ट्रेनें दौड़ रही हैं। अंडरग्राउंड ट्रांसमिशन केबल के जरिए 25 केवी एसी टे्रक्शन सब सेक्शन और ओएचइ में आपूर्ति की जाती है। इस प्लांट से मिल रही बिजली के कारण उत्पादन की प्रक्रिया में निकलने वाली करीब 2160 टन कार्बन डायऑक्साइड कम होने का अनुमान है। रेलवे को ऊर्जा खर्च में प्रतिवर्ष करोड़ रुपए की बचत भी होने का आकलन किया गया है।