चार इंजन 36 साल पुराने
पश्मिच मध्य रेल (पमरे) में 36 साल पुराने चार इंजन भी चल रहे हैं। इनमें डब्ल्यूडीएम-3 ए-लोको नंबर 18721, डब्ल्यूडीएम-3 ए-लोको नंबर 18723, डब्ल्यूडीएम-3 ए-लोको नंबर 18725 और डब्ल्यूडीएम-3 ए-लोको नंबर 18727 शामिल हैं। इसमें लोको नम्बर 18727 का निर्माण नवंबर 1983 और शेष तीन इंजनों का निर्माण सितंबर 1983 में हुआ था।
ज्यादा खप रहा था डीजल
डीजल इंजनों को रिटायर्ड करने की मुख्य वजह नमें डीजल की खपत ज्यादा होना है। इंजन पुराने होने के कारण बार-बार मेंटेनेंस कराना पड़ता है। डीजल की खपत भी नए इंजनों की तुलना में 25 फीसदी अधिक हो रही थी। इंजनों के संधारण पर भी राशि खर्च हो रही थी।
इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा
पश्चिम मध्य रेल जोन में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम जारी है। जबलपुर-इटारसी, सतना-मानिकपुर, कटनी-सतना रूट पर इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा हो गया है। हालांकि जोन के कुछ हिस्सों में काम चल रहा है। रेलवे बोर्ड का उद्देश्य अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक इंजन संचालित करना है, जिससे प्रदूषण कम हो और डीजल की खपत में भी कमी आए।
रेल इंजनों की स्थिति
निर्माण वर्ष : इंजन की संख्या
1984 : 05
1985 : 04
1986 : 04
1987 : 03
1988 : 02
1983 : 04
ये है वजह
– मेंटेनेंस में परेशानी
– डीजल की ज्यादा खपत
– प्रदूषण फैलना
– रेलवे का भार खत्म होना
निर्देश मिले हैं
इस सम्बंध में पमरे की सीपीआरओ प्रियंका दीक्षित ने बताया कि पुराने डीजल इंजन को हटाने के निर्देश मिले हैं। इस दिशा में पमरे प्रशासन ने काम शुरू कर दिया है। डीजल शेड से ऐसे इंजनों की जानकारी ली जा रही है।