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आखिर क्या हो गया कि यह विवि गरीब हो गया

locationजबलपुरPublished: May 03, 2019 01:20:48 am

Submitted by:

shyam bihari

एफडी तोडऩे की आ गई नौबत

Rani Durgavati University's 62nd Foundation Day

Rani Durgavati University’s 62nd Foundation Day

ये है स्थिति
– 14 करोड़ रुपए है दो साल की ग्रांट राशि
– 03 करोड़ रुपए हर माह खर्च होते हैं वेतन पर
– 60 करोड़ रुपए कर्मचारियों के एरियर्स के लिए चाहिए
– 50 करोड़ रुपए है विवि प्रशासन की कुल आय
– 95 करोड़ रुपए संरक्षित फंड में जमा
जबलपुर। प्रदेश शासन की ओर से दो साल से ग्रांट की राशि जारी नहीं करने से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है। विवि प्रशासन को कर्मचारियों के वेतन भुगतान और अन्य खर्चों के लिए संरक्षित फंड का उपयोग करना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार यदि ग्रांट की राशि नहीं मिली तो एफडी तोडऩे की भी नौबत आ सकती है।
इससे पहले भी पूर्व कुलपति के कार्यकाल के दौरान वित्तीय स्थिति गड़बड़ाने पर दो करोड़ रुपए की एफडी तोडऩा पड़ा था। विवि प्रशासन ने प्रदेश शासन को पत्र लिखकर दो साल की ग्रांट रािश 14 करोड़ रुपए जारी करने के साथ ही 60 करोड़ रुपए करने की मांग की है। विश्वविद्यालय को कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए हर महीने 3 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती है। इसकी व्यवस्था विवि प्रशासन को अपने स्रोत से करनी पड़ती है। अब विवि प्रशासन यह खर्च उठाने की स्थिति में नहीं है।
फीस, सम्बद्धता शुल्क से चला रहे काम
विश्वविद्यालय प्रशासन को कॉलेजों के सम्बद्धता शुल्क और विद्यार्थियों की फीस आदि से कुल 50 करोड़ रुपए की आय होती है। इसमें से 35 करोड़ रुपए (सालाना) कर्मचारियों के वेतन भुगतान पर खर्च हो जाते हैं। अब सातवां वेतनमान लागू होने से विवि प्रशासन पर प्रतिवर्ष 12 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार बढ़ गया है। इसके अलावा विवि प्रशासन को ग्रांट की राशि के साथ ही कर्मचारियों के एरियर्स के 60 करोड़ रुपए की भी व्यवस्था भी करना है। विश्वविद्यालय प्रशासन शुल्क में वृद्धि कर अतिरिक्त राशि की व्यवस्था करेगा।
दो साल से ग्रांट की राशि नहीं मिली है। ग्रांट जारी करने के लिए शासन को पत्र लिखा है। आर्थिक संकट से निपटने के लिए अन्य फंडों से व्यवस्था करनी पड़ रही है।
सुरेश कतिया, फाइनेंस कंट्रोलर, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय
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