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तीसरी बेटी जन्मी, तो मां ने किया यह… दिल दहला देगा यह वाक्या

locationजबलपुरPublished: Mar 13, 2019 07:23:00 pm

Submitted by:

virendra rajak

माँ ने दिया चौकाने वाला बयान

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माँ ने दिया चौकाने वाला बयान

 

जबलपुर, दो बेटियां पहले से थीं, तीसरी बेटी ने जन्म लिया। लेकिन जन्म के महज छह माह बाद ही मां ने उसे गोद में उठाया और स्टेशन पहुंच गई। रात का अंधेरा था, ट्रेन में भी यात्री सोए हुए थे, प्लेटफार्म पर भी आवाजाही कम थी। मासूम की भोली मुस्कुराहट पर भी मां का दिल नहीं पसीजा, अनहोनी से अंजान मासूम मां की गोद में खेलती रही, लेकिन मां के दिल और दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। मासूम के साथ मां ने वो किया, तो किसी का भी दिल दहला दे, रूह कंपा देने वाला था यह वाक्या….मासूम बेटी के साथ मां ट्रेन में सवार हुई। उसे लेकर बाथरूम में घुसी। ट्रेन चली, तो मां ने उसे बाथरूम में ही छोड़ा और ट्रेन से उतर गई। लेकिन महिला के मंसूबे पूरे नहीं हो सके और मासूम पर जीआरपी की नजर पड़ गई।

यहां मासूम बेटी को दोबारा पाने की उम्मीद पिता ने खो दी थी, लेकिन जब दोबारा वह पिता की गोद में पहुंची, तो उसकी छोटी सी मुस्कान ने पिता की आंखों से आंसू छलका दिए। पिता बार-बार भगवान और जीआरपी का शुक्रिया अदा कर रहा था। इधर मासूम को ट्रेन के बाथरूम में लावारिस छोडऩे वाली मां के जीआरपी ने बयान लिए, तो उसने चौकाने वाली बातें कहीं। हालांकि सारी कार्रवाई के बाद बुधवार सुबह मासूम को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया।
पति ड्यूटी पर था, घर से निकली
खमरिया ईस्ट लेंड निवासी श्यामलाल ठाकुर आयुध निर्माणी खमरिया में कार्यरत है। वह पत्नी अरूणा के साथ रहता है। उसकी तीन बेटियां साढ़े सात वर्षीय दीपाली, साढे तीन वर्षीय ख्याती व छह माह की गुंजन है। अरूणा मानसिक रूप से बीमार है। रोजाना की तरह मंगलवार को श्यामलाल ड्यूटी गया था। शाम को वह घर लौटा, तो अरूणा और गुंजन घर पर नहीं थे। बच्चों ने बताया कि मां पड़ोस में गई है। श्यामलाल ने तलाशा, लेकिन पता नहीं चला।
गोद सूनी, प्लेटफार्म पर बैठी थी अरूणा
श्यामलाल व परिजन अरूणा को तलाशते हुए रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो वह प्लेटफार्म पर बैठी मिली, लेकिन न तो उसकी गोद में गुंजन थी और न ही आसपास। यह देखते ही श्यामलाल के होश उड़ गए। उसने पत्नी से बच्ची के बारे में पूछा, तो पत्नी ने उसे ट्रेन के बाथरूम में छोडऩे की बात कही, यह सुनते ही श्यामलाल ने बेटी से दोबारा मिलने की उम्मीद छोड़ दी। वे तत्काल जीआरपी थाने पहुंचे और इसकी सूचना दी।
आरक्षक लेकर आए जबलपुर
तब तक लोगों ने विंध्याचल एक्सप्रेस में बच्चे की आवाज सुनी और पेट्रोलिंग में तैनात जीआरपी आरक्षक महेश कोष्टा और शिवेन्द्र सिंह का बच्ची मिल गई। उन्होंने उसे खितौला स्टेशन पर उतारा और सिहोरा अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टर्स ने उसे चैक किया और फिर बच्ची को जबलपुर मेडिकल अस्पताल ले जाया गया।
मां ने दिया चौकाने वाला बयान
अरूणा ने पुलिस को चौकाने वाले बयान दिए, हालांकि पुलिस यह मान रही है कि अरूणा मानसिक रूप से बीमार है, इसलिए वह एेसा कह रही है। मंगलवार को सारी कार्रवाई के बाद मासूम को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।
वर्जन
पेट्रोलिंग में तैनात आरक्षकों ने बिना देर किए मासूम को खितौला स्टेशन पर उतारा। मासूम की मां अरूणा मानसिक रूप से बीमार है। इसके चलते उसने बच्ची को ट्रेन के बाथरूम में रख दिया था। बच्ची को पिता के सुपुर्द कर दिया गया है। महिला को मानसिक रोग विशेषज्ञ से उपचार करवाने की सलाह भी दी गई है।
सुनील नेमा, थाना प्रभारी, जीआरपी

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