ओएफके के बंगलो एरिया के करीब तीन एकड़ जगह ऐसी है, जहां उन्नत किस्म के पौधे वृक्ष का आकार लेने लगे हैं। इस जगह पर हरियाली देखकर फैक्ट्री प्रशासन ने उसका स्वरूप उपवन के रूप में दे दिया है। फेंसिंग हो जाने से हरियाली सुरक्षित हो गई है। निगरानी और नियमित रखरखाव से हरियाली बढ़ती जा रही है।
पर्यावरण शुद्ध करने की इच्छा जागी फैक्ट्री से सेवानिवृत होने के बाद कचरे का निष्पादन एक जगह होने से वीरान पड़े इस क्षेत्र को उन्नत करने का जुनून छा गया और फिर पौधे लगाने का सिलसिला शुरू हो गया। सुबह से लेकर शाम तक पौधों की सेवा करना शर्मा का मकसद बन गया था।
मिला तिरस्कार शर्मा कहते हैं कि शुरुआत में परिवार के साथ अन्य लोगों ने तिरस्कार की नजरों से उन्हें देखा था। लेकिन, वे अपने कार्य में लगे रहे और आखिरकार जब इस जगह पर हरियाली दिखाई देने लगी तो उन्हीं लोगों में से कुछ लोग उन्हें आकर मदद करने लगे।
फैक्ट्री कर्मियों का मिला सहयोग हरियाली लाने के इस कार्य में फैक्ट्री कर्मियों से उन्हें काफी सहयोग मिला। इसमें जेडब्ल्यूएम रहमान थे, जिन्होंने फेंसिंग बनाने में काफी मदद की, इसके साथ समयसमय पर पौधों की सेवा के लिए हरसंभव सहयोग करते थे।
आयुर्वेदिक, बोनसाइज के भी पौधे पौधरोपण में इस जगह पर आयुर्वेदिक और बोनसाइज पौधे रोपे गए हैं। इन पौधों की सेवा करने से वे तैयार हो गए हैं। आलम यह है कि इस जगह पर इन पौधों में दोदो फीट पर आमपाम दिखाई दे रहे हैं।
2012 में फेंका था आखिरी बार कचरा वैसलैंड और मानेगांव की दीवार से लगी इस जगह पर मूलत: लोग घरों से निकलने वाले कचरे को फेंका करते थे। इसमें कृष्ण मुरारी भी शामिल थे। कचरे की वजह से दुर्गंध और आवारा मवेशियों की मौजूदगी से हालत खराब हो रही थी। कृष्ण का कहना है कि उन्होंने आखिरी बार इस जगह पर 2012 में कचरा फेंका था और उसके बाद लोगों के सहयोग से कचरा फेंकने की जगह नियत करवा दी थी।
तीन हजार पौधे रोपे दस साल के अंदर करीब तीन हजार पौधे रोपे गए हैं। ये सभी जीवित हैं। फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से इस जगह को उपवन का रूप दे दिया गया है।
कृष्ण मुरारी शर्मा, सेवानिवृत फैक्ट्रीकर्मी