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जिसका कोई नहीं, उसका सहारा बन रहा वृद्धाश्रम, कुछ अपनी बारी के इंतजार में

locationजबलपुरPublished: Sep 24, 2022 07:17:05 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर में कोई बुजुर्ग घर से सताया गया, कोई नि:संतान, हर माह आते हैँ आवेदन
 

old age homes

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जबलपुर। हर बुजुर्ग की आरजू रहती है कि उसके जीवन के ये पल शांति के साथ कटें। इसके लिए वे अपनी औलाद से उम्मीद रखते हैं कि जिस जतन से उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया, उसका प्रतिफल वे उन्हें इस उम्र में दें। लेकिन, कुछ परिवार ऐसे हैं, जहां बुजुर्गों को यह सुख नसीब नहीं होता। इसलिए उनके लिए वृद्धाश्रम एक बड़ा सहारा होता है। शहर के वृद्धाश्रम में कई बुजुर्ग हैं, जिन्होंने आवेदन दे रखा है, अब अपनी पारी आने का इंतजार कर रहे हैं।
बाजनामठ तिलवारा रोड में रेडक्रॉस सोसायटी के वृद्धाश्रम में कई बुजुर्ग निराश्रित हैं। उनका अपना कोई नहीं है। कुछ ऐसे हैं, जिनके बेटों ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। कुछ बुजुर्गों की बेटियां हैं। लेकिन, वे उन पर बोझ नहीं बनना चाहते। इसलिए उन्होंने वृद्धाश्रम का द्वार खटखटाया है। ऐसे बुजुर्गों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। इसलिए यह आश्रम अब कम पड़ने लगा है। इसलिए सोसायटी को अब एक और बिल्डिंग तैयार करवानी पड़ रही है। उसमें निराश्रितों को सहारा दिया जाएगा।
वर्तमान में संचालित आश्रम में महिला और पुरुष मिलाकर लोगों के लिए जगह है। हालांकि जगह के अभाव के कारण लगभग 96 लोग ठीक तरीके से रह पाते हैं। अभी यहां पर 31 पुरुष निवासरत हैं तो महिलाओं की संख्या 57 है। इन्हें रेड क्रॉस सोसायटी नि:शुल्क आवास के साथ ही भोजन उपलब्ध करवाती है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं। इनके लिए मनोरंजन के साधन भी हैं, ताकि सुबह और शाम को वे इनके जरिए अपने को व्यस्त रख सकें।
आश्रम में आने वालों की अपनी-अपनी कहानी है। कालू प्रसाद के दो बेटे हैं। उनकी शादी हो चुकी है। तीन बेटियां हैं। वे कभी-कभी उनसे मिलने केे लिए आ जाती हैं। प्रेमा बाई के तीन बेटे हैँ। कहती हैं बच्चों ने उन्हें कभी मां नहीं समझा। छोटी-मोटी नौकरी कर उन्हें बड़ा किया, लेकिन वे उन्हें भूल गए। अब तो मेरा यही परिवार है। कविता के बच्चे नहीं है। पति का निधन हो गया। वृद्धावस्था थी तो किसी प्रकार वे यहां पहुंचने में कामयाब हो गईं। मणिराम कहते हैं कि घर नहीं था। किराए के मकान में रहते थे। बेटा है नाती भी, लेकिन उन्हें कोई मतलब नहीं।
हर माह आते हैं आवेदन

वृद्धाश्रम कभी खाली नहीं रहता। हर महीने यहां निवास के लिए आवेदन आते हैं। इनकी संख्या एक से लेकर 8 तक हो रही है। जनवरी से लेकर सितंबर तक 20 आवेदन आ चुके हैं। 10 बुजुर्गाें को निराश्रित वृद्धाश्रम में रहने का मौका मिल पाया है। इतनी ही संख्या उन बुजुर्गाें की है, जो आवेदन देकर इंतजार में हैँ कि उन्हें कब यहां पर रहने का अवसर मिल सकेगा? अभी वे जहां रह रहे हैं, वहां उन्हें सुख नहीं मिलता। लेकिन, जगह कम होने या नियमों के फेर में रहने का मौका नहीं मिल पाता। बढ़ते आवेदनों को ध्यान में रखकर प्रशासन अब एक एकड़ जमीन पर 50 सीटर वृद्धाश्रम बनवा रहा है। इसकी बिल्डिंग तैयार हो रही है। इसके पूरा होते ही यहां पर भी बुजुर्गों को रखना प्रारंभ किया जाएगा।

वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। इसे देखते हुए कुष्ठाश्रम के पास एक एकड़ जमीन पर अतिरिक्त बिल्डिंग तैयार की जा रह है। इसमें 50 बुजुर्गों के रहने का इंतजाम किया जाएगा।
आशीष दीक्षित, सचिव जिला रेडक्रॉस सोसायटी

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